عَنْ عُبَادَةَ بْنِ الصَّامِتِ رضي الله عنه أَنَّ رَسُولَ اللَّهِ صَلَّى اللهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ قَالَ:
«لَا صَلَاةَ لِمَنْ لَمْ يَقْرَأْ بِفَاتِحَةِ الكِتَابِ».
[صحيح] - [متفق عليه] - [صحيح البخاري: 756]
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उबादा बिन सामित रज़ियल्लाहु अनहु का वर्णन है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया :
"जिसने सूरा-ए-फ़ातिहा नहीं पढ़ी, उसकी नमाज़ ही नहीं।"
[सह़ीह़] - [इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।] - [صحيح البخاري - 756]
अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने बताया कि सूरा फ़ातिहा पढ़े बिना नमाज़ सही नहीं होती। हर रकात में सूरा फ़ातिहा पढ़ना नमाज़ का एक स्तंभ है।