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عن عائشة أن رسول الله صلى الله عليه وسلم قال: «أَشَدُّ النَّاسِ عَذَابًا يومَ القيامة الذين يُضَاهِئُون بخَلْقِ الله».
[صحيح] - [متفق عليه]
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मुसलमानों की माता आइशा रज़ियल्लाहु अनहा का वर्णन है, वह कहती हैं :
अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम मेरे यहाँ आए, तो देखा कि मैंने अपने एक ताक पर एक कपड़ा डाल रखा था, जिसपर तस्वीरें थीं, उसपर नज़र पड़ते ही उसे खींचकर हटा डाला और आपके चेहरे का रंग बदल गया तथा फ़रमाया : "ऐ आइशा! क़यामत के दिन सबसे अधिक कठोर यातना उन लोगों को होगी, जो अल्लाह की सृष्टि की समानता प्रकट करते हैं।" आइशा रज़ियल्लाहु अनहा कहती हैं : अतः हमने उसे फाड़कर उससे एक या दो तकिए बना लिए।

[सह़ीह़] - [इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।] - [صحيح مسلم - 2107]

व्याख्या

अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने अनपी पत्नी आइशा रज़यल्लाहु अनहा के घर में प्रवेश किया, तो देखा कि उन्होंने अपने एक ताक पर एक कपड़ा डाल रखा है, जिसपर प्राण वाली चीज़ों की तस्वीरें हैं। उसे देखकर ग़ुस्से से आपके चेहरे का रंग बदल गया, उसे खींचकर हटा दिया और फ़रमाया : क़यामत के दिन सबसे कठोर यातना का सामना उन लोगों को करना पड़ेगा, जो अपनी तस्वीरों द्वारा अल्लाह की सृष्टि की समानता प्रकट करते हैं। आइशा रज़ियल्लाहु अनहा कहती हैं : चुनांचे हमने उससे एक या दो तकिए बना लिए।

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हदीस का संदेश

  1. ग़लत काम देखते ही देर किए बिना उसका खंडन करना चाहिए, जब इससे तुल्नात्मक रूप से बड़ी बुराई सामने न आए।
  2. क़यामत के दिन गुनाह के बड़े या छोटे होने के अनुसार यातना में भिन्नता होगी।
  3. प्राण वाली चीज़ों की तस्वीर बनाना या रखना बड़ा गुनाह है।
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