«لَيْسَ مِنَّا مَنْ لَطَمَ الخُدُودَ، وَشَقَّ الجُيُوبَ، وَدَعَا بِدَعْوَى الجَاهِلِيَّةِ».
[صحيح] - [متفق عليه] - [صحيح البخاري: 1294]
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अब्दुल्लाह बिन मसऊद रज़ियल्लाहु अनहु का वर्णन है, वह कहते हैं कि अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया :
"वह व्यक्ति हममें से नहीं, जो गालों पर थप्पड़ मारे, गिरेबान फाड़े और जाहिलियत का कोई बोल बोले।"
[सह़ीह़] - [इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।] - [صحيح البخاري - 1294]
अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने अज्ञानता काल के लोगों द्वारा किए जाने वाले कुछ कार्यों से मना और सावधान किया है। आपने फ़रमाया कि निम्नलिखित काम करने वाले लोग हम में से नहीं हैं :
1- गाल पीटने वाला। वैसे तो चेहरे के अन्य भागों को पीटना भी मनाही के दायरे में आता है, लेकिन चेहरे का ज़िक्र ख़ास तौर से इसलिए किया गया है कि आम तौर से गाल ही पीटा जाता है।
2- अत्यधिक व्याकुलता के कारण वस्त्र का वह भाग (गिरेबान) फाड़ देना जहाँ से सिर प्रविष्ट होता है।
3- अज्ञानता (जाहिलियत) के युग के लोगों की तरह विलाप करना, जैसे 'हाय-हाय' और 'बर्बादी' की पुकार लगाना, और रोना-धोना तथा शोक गीत गाना।