عن المقداد بن الأسود رضي الله عنه قال: قُلْتُ لرسولِ اللهِ صلى الله عليه وسلم : أَرَأَيْتَ إِنْ لَقِيتُ رَجُلًا مِن الكفارِ، فَاقْتَتَلْنَا، فضربَ إِحْدَى يَدَيَّ بالسيفِ، فَقَطَعَهَا، ثُمَّ لَاذَ مِنِّي بشجرةٍ، فقال: أَسْلَمْتُ للهِ، أَأَقْتُلُهُ يا رسولَ اللهِ بَعْدَ أَنْ قَالها؟ فقال: «لا تَقْتُلْهُ» فقلتُ: يا رسولَ اللهِ، قَطَعَ إِحْدَى يَدَيَّ، ثُمَّ قال ذلك بعد ما قَطَعَهَا؟! فقال: «لا تَقْتُلْهُ، فَإِنْ قَتَلْتَهُ فَإِنَّهُ بِمَنْزِلَتِكَ قَبْلَ أَنْ تَقْتُلَهُ، وَإِنَّكَ بِمَنْزِلَتِهِ قَبْلَ أَنْ يَقُولَ كَلِمَتَهُ التي قالَ».
[صحيح] - [متفق عليه]
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मिक़दाद बिन असवद- रज़ियल्लाहु अन्हु- कहते हैं कि अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फ़रमायाः ऐ अल्लाह के रसूल! ज़रा यह बताएँ कि अगर मेरी मुठभेड़ किसी काफ़िर से हो जाए और हम लड़ पड़ें। फिर वह तलवार से मेरा एक हाथ काट दे और उसके बाद मुझसे भागकर एक पेड़ की आड़ में छिप जाए और कहने लगेः मैं अल्लाह के लिए इस्लाम ग्रहण करता हूँ। ऐसे में, मैं क्या करूँ? क्या यह बोलने के बाद भी उसे मार दूँ? आपने कहाः उसे न मारो। मैंने कहाः ऐ अल्लाह के रसूल! उसने मेरा एक हाथ काटने के बाद यह कहा है? तो फ़रमायाः उसे न मारो। अगर तुमने उसे मार दिया तो वह उस अवस्था में होगा, जिसमें तुम उसे मारने से पहले थे और तुम उस हाल में पहुँच जाओगे, जहाँ वह यह बात कहने से पहले था।
[सह़ीह़] - [इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।]
इस हदीस में मिक़दाद बिन असवद -रज़ियल्लाहु अनहु- ने अल्लाह के रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- से एक प्रश्न किया है। उन्होंने कहा : ऐ अल्लाह के रसूल! आप ज़रा मुझे बताएँ कि यदि मेरा सामना किसी मुश्रिक से हो जाए और हम आपस युद्ध करने लगें, फिर वह तलवार से वार कर मेरा एक हाथ काट डाले और उसके बाद एक पेड़ के पीछे जाकर मुझसे छुप जाए और कहे : मैं गवाही देता हूँ कि अल्लाह के अतिरिक्त कोई सत्य पूज्य नहीं है! तो क्या उसके इस गवाही देने के बाद मैं उसका वध करूँ? आपने उत्तर दिया : तुम उसका वध न करो। यह सुन मिक़दाद -रज़ियल्लाहु अनहु- ने कहा : उसने मेरा एक हाथ काट दिया और उसके बाद यह गवाही दी। भला किस आधार पर उसका वध न किया जाए? तो आपने फ़रमाया : तुम उसका वध न करो। क्योंकि यदि तुमने इस गवाही के बाद भी उसका वध कर दिया, तो इस घटना के बाद रक्त की सुरक्षा के मामले में वह उस अवस्था में पहुँच जाएगा, जहाँ तुम उसका वध करने से पहले थे और तुम उस अवस्था में पहुँच जाओगे, जिसमें वह अल्लाह के केवल सत्य पूज्य होने की गवाही देने से पहले था।