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عَنْ عَمَّارِ بنِ ياسِرٍ رضي الله عنه قال:
بَعَثَنِي رَسُولُ اللهِ صَلَّى اللهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ فِي حَاجَةٍ، فَأَجْنَبْتُ فَلَمْ أَجِدِ الْمَاءَ، فَتَمَرَّغْتُ فِي الصَّعِيدِ كَمَا تَمَرَّغُ الدَّابَّةُ ثُمَّ أَتَيْتُ النَّبِيَّ صَلَّى اللهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ، فَذَكَرْتُ ذَلِكَ لَهُ فَقَالَ: «إِنَّمَا كَانَ يَكْفِيكَ أَنْ تَقُولَ بِيَدَيْكَ هَكَذَا» ثُمَّ ضَرَبَ بِيَدَيْهِ الْأَرْضَ ضَرْبَةً وَاحِدَةً، ثُمَّ مَسَحَ الشِّمَالَ عَلَى الْيَمِينِ، وَظَاهِرَ كَفَّيْهِ وَوَجْهَهُ.

[صحيح] - [متفق عليه] - [صحيح مسلم: 368]
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अम्मार बिन यासिर रज़ियल्लाहु अनहु से रिवायत है, वह कहते हैं :
अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने मुझे किसी काम से भेजा, तो मैं जुंबी हो गया और पानी न मिल सका, इसलिए मैं ज़मीन पर लोटने लगा, जिस तरह जानवर लोटता है। फिर मैं अल्लाह के नबी ल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के पास आया और यह कहानी बताई, तो फ़रमाया : "तुम्हारे लिए काफ़ी था कि तुम अपने हाथों से इस तरह कर लेते।" फिर आपने अपने दोनों हाथों को ज़मीन पर एक बार मारा, उसके बाद बाएँ हाथ को दाएँ हाथ पर फेरा तथा दोनों हथेलियों के बाहरी भाग एवं चेहरे का मसह किया।

[सह़ीह़] - [इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।] - [صحيح مسلم - 368]

व्याख्या

अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने अम्मार बिन यासिर रज़ियल्लाहु अनहु को किसी काम से एक यात्रा में भेजा। यात्रा के दौरान उनपर संभोग या फिर कामवेग के साथ वीर्य स्खलन होने के कारण स्नान करना अनिवार्य हो गया। तो उन्हें स्नान के लिए पानी न मिल सका। उस समय उनको मालूम भी नहीं था कि इस तरह की परिस्थिति में तयम्मुम किया जा सकता है। उनको बस इतना पता था कि तयम्मुम की अनुमति छोटी नापाकी के बाद है। अतः इजतिहाद से काम लिया। समझा कि जिस तरह छोटी नापाकी से पाकी प्राप्त करने के लिए वज़ू के कुछ अंगों का मिट्टी से मसह किया जाता है, अतः पानी पर कयास करत हुए, बड़ी नापाकी के तयम्मुम के लिए पूरे शरीर पर मिट्टी लगाना ज़रूरी होगा। अतः मिट्टी में लोट-पोट गए, पूरे शरीर में मिट्टी लगा ली और उसके बाद नमाज़ पढ़ी। बाद में जब अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के पास पहुँचे, तो यह जानने के लिए कि उन्होंने जो किया था, वह सही थी या नहीं, अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के सामने इस घटना का उल्लेख किया। तब अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने उनको छोटी और बड़ी दोनों नापाकियों से (मिट्टी के द्वारा) पाकी हासिल करने का तरीक़ा बता दिया। तरीक़ा यह है कि दोनों हाथों को एक बार ज़मीन पर मारा जाए और उसके बाद अपने बाएँ हाथ से दाएँ हाथ, दोनों हथेलियों के ऊपरी भाग और चेहरे का मसह किया जाए।

हदीस का संदेश

  1. तयम्मुम से पहले पानी तलाश कर लेना अनिवार्य है।
  2. जुंबी (संभोग अथवा स्वप्नदोष के कारण अपवित्र होने वाले) व्यक्ति को पानी न मिले, तो तयम्मुम कर सकता है।
  3. बड़ी नापाकी और छोटी नापाकी दोनों का तयम्मुम एक जैसा है।
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