+ -

عَنْ أَبِي شُرَيْحٍ رضي الله عنه أَنَّ النَّبِيَّ صَلَّى اللهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ قَالَ:
«وَاللَّهِ لاَ يُؤْمِنُ، وَاللَّهِ لاَ يُؤْمِنُ، وَاللَّهِ لاَ يُؤْمِنُ»، قِيلَ: وَمَنْ يَا رَسُولَ اللَّهِ؟ قَالَ: «الَّذِي لاَ يَأْمَنُ جَارُهُ بَوَايِقَهُ».

[صحيح] - [رواه البخاري] - [صحيح البخاري: 6016]
المزيــد ...

अबू शुरैह -रज़ियल्लाहु अनहु- का वर्णन है कि अल्लाह के रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने फ़रमाया है :
“अल्लाह की क़सम! वह व्यक्ति मोमिन नहीं है, अल्लाह की क़सम! वह व्यक्ति मोमिन नहीं है, अल्लाह की क़सम! वह व्यक्ति मोमिन नहीं है।” पूछा गया कि ऐ अल्लाह के रसूल! यह बात आप किसके बारे में कह रहे हैं? आपने उत्तर दिया : “जिसका पड़ोसी उसके कष्ट से सुरक्षित नहीं रहता।”

[सह़ीह़] - [इसे बुख़ारी ने रिवायत किया है।] - [صحيح البخاري - 6016]

व्याख्या

अल्लाह के नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने क़सम खाकर और अपनी बात में ज़ोर देने के लिए तीन बार क़सम खाकर फ़रमाया कि अल्लाह की क़सम वह व्यक्ति मोमिन नहीं हो सकता, अल्लाह की क़सम वह व्यक्ति मोमिन नहीं हो सकता, अल्लाह की क़सम वह व्यक्ति मोमिन नहीं हो सकता। यह सुन सहाबा ने पूछा कि ऐ अल्लाह के रसूल! वह व्यक्ति कौन है जो मोमिन नहीं हो सकता? आपने उत्तर दिया : ऐसा व्यक्ति, जिसके फ़रेब, अत्याचार और बुराई से उसका पड़ोसी सुरक्षित न रहे।

अनुवाद: अंग्रेज़ी इंडोनेशियाई बंगला तुर्की रूसी सिंहली वियतनामी तगालोग कुर्दिश होसा पुर्तगाली तिलगू सवाहिली थाई पशतो असमिया الأمهرية الهولندية الغوجاراتية الدرية الرومانية المجرية الموري Malagasy الولوف الأوكرانية الجورجية المقدونية الخميرية الماراثية
अनुवादों को प्रदर्शित करें
अधिक