عَنْ ابنِ عُمَرَ رَضيَ اللهُ عنهما عَنْ رَسُولِ اللهِ صَلَّى اللهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ قَالَ:
«مَنِ اقْتَنَى كَلْبًا إِلَّا كَلْبَ ضَارٍ أَوْ مَاشِيَةٍ نَقَصَ مِنْ عَمَلِهِ كُلَّ يَوْمٍ قِيرَاطَانِ»، قَالَ سَالِمٌ: وَكَانَ أَبُو هُرَيْرَةَ يَقُولُ: «أَوْ كَلْبَ حَرْثٍ»، وَكَانَ صَاحِبَ حَرْثٍ.
[صحيح] - [متفق عليه] - [صحيح مسلم: 1574]
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अब्दुल्लाह बिन उमर -रज़ियल्लाहु अनहुमा- का वर्णन है, वह कहते हैं कि अल्लाह के रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने फ़रमाया है :
"जिसने शिकार तथा जानवरों की रखवाली के लिए पाले जाने वाले कुत्ता के अतिरिक्त कोई और कुत्ता पाला, हर दिन उसकी नेकी से दो क़ीरात घटा दिए जाएँगे।" सालिम कहते हैं कि अबू हुरैरा -रज़ियल्लाहु अन्हु- यह भी कहा करते थे : "या खेती की रखवाली के कुत्ते के सिवा।" और वह खुद खेतीबाड़ी किया करते थे।
[सह़ीह़] - [इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।] - [صحيح مسلم - 1574]
अल्लाह के नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने कुत्ता पालने से सावधान किया है। बस उस कुत्ता को छोड़कर जो शिकार करने या जानवर तथा खेत की देखभाल के लिए पाला जाए। जिसने इसके अतिरिक्त कोई कुत्ता पाला, उसके अमल के सवाब से हर दिन दो-दो क़ीरात घटा दिए जाएँगे। क़ीरात कितने का होता है, इसकी जानकारी अल्लाह के पास है।