+ -

عن أَبي هُرَيْرَةَ رضي الله عنه:
أنه كَانَ يُكَبِّرُ فِي كُلِّ صَلَاةٍ مِنَ الْمَكْتُوبَةِ وَغَيْرِهَا، فِي رَمَضَانَ وَغَيْرِهِ، فَيُكَبِّرُ حِينَ يَقُومُ، ثُمَّ يُكَبِّرُ حِينَ يَرْكَعُ، ثُمَّ يَقُولُ: سَمِعَ اللهُ لِمَنْ حَمِدَهُ، ثُمَّ يَقُولُ: رَبَّنَا وَلَكَ الْحَمْدُ، قَبْلَ أَنْ يَسْجُدَ، ثُمَّ يَقُولُ: اللهُ أَكْبَرُ حِينَ يَهْوِي سَاجِدًا، ثُمَّ يُكَبِّرُ حِينَ يَرْفَعُ رَأْسَهُ مِنَ السُّجُودِ، ثُمَّ يُكَبِّرُ حِينَ يَسْجُدُ، ثُمَّ يُكَبِّرُ حِينَ يَرْفَعُ رَأْسَهُ مِنَ السُّجُودِ، ثُمَّ يُكَبِّرُ حِينَ يَقُومُ مِنَ الْجُلُوسِ فِي الِاثْنَتَيْنِ، وَيَفْعَلُ ذَلِكَ فِي كُلِّ رَكْعَةٍ، حَتَّى يَفْرُغَ مِنَ الصَّلَاةِ، ثُمَّ يَقُولُ حِينَ يَنْصَرِفُ: وَالَّذِي نَفْسِي بِيَدِهِ، إِنِّي لَأَقْرَبُكُمْ شَبَهًا بِصَلَاةِ رَسُولِ اللهِ صَلَّى اللهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ، إِنْ كَانَتْ هَذِهِ لَصَلَاتَهُ حَتَّى فَارَقَ الدُّنْيَا.

[صحيح] - [متفق عليه] - [صحيح البخاري: 803]
المزيــد ...

अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अनहु का वर्णन है कि
वह हर नमाज़ में तकबीर कहा करते थे। नमाज़ फ़र्ज़ हो कि नफ़ल। रमज़ान में हो कि दूसरे महीनों में। वह खड़े होते समय तकबीर कहते, फिर रुकू में जाते समय तकबीर कहते, फिर "سَمِعَ اللهُ لِمَنْ حَمِدَهُ" कहते, फिर सजदे में जाने से पहले "رَبَّنَا وَلَكَ الْحَمْدُ" कहते, फिर सजदे के लिए झुकते समय तकबीर कहते, फिर सजदे से सर उठाते समय तकबीर कहते, फिर सजदे में जाते समय तकबीर कहते, फिर सजदे से सर उठाते समय तकबीर कहते, फिर दो रकात पूरी होने के बाद की बैठक से खड़े होते समय तकबीर कहते और ऐसा नमाज़ पूरी होने तक हर रकात में करते। फिर नमाज़ पूरी करने के बाद कहते : उस हस्ती की क़सम, जिसके हाथ में मेरी जान है, मैं तुम्हारे बीच अल्लाह के रसूल से सबसे ज़्यादा मिलती-जुलती नमाज़ पढ़ने वाला व्यक्ति हूँ। दुनिया छोड़ने तक आप इसी तरह नमाज़ पढ़ते रहे।

[सह़ीह़] - [इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।] - [صحيح البخاري - 803]

व्याख्या

यहाँ अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अनहु अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की नमाज़ के तरीक़ा का एक भाग का वर्णन कर रहे हैं और बता रहे हैं कि जब आप नमाज़ के लिए खड़े होते, तो खड़े होते समय तकबीर-ए-एहराम कहते, फिर रुकू में जाते समय, सजदा करते समय, रुकू से सर उठाते समय, दूसरे सजदे में जाते समय, दूसरे सजदे से सर उठाते समय और तीन या चार रकात वाली नमाज़ों में पहले तशह्हुद के लिए बैठने के बाद पहली दो रकातों से खड़े होते समय तकबीर कहते, फिर नमाज़ पूरी होने तक पूरी नमाज़ में ऐसा ही करते। जबकि रुकू से सर उठाते समय "سمع الله لمن حمده" कहते और उसके बाद "ربنا لك الحمد" कहते।
फिर अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अनहु नमाज़ पूरी करने के बाद कहते : उस हस्ती की क़सम, जिसके हाथ में मेरी जान है, मैं तुम्हारे बीच अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से सबसे ज़्यादा मिलती-जुलती नमाज़ पढ़ने वाला व्यक्ति हूँ। दुनिया छोड़ने तक आप इसी तरह नमाज़ पढ़ते रहे।

अनुवाद: अंग्रेज़ी उर्दू इंडोनेशियाई उइग़ुर बंगला तुर्की बोस्नियाई सिंहली फ़ारसी वियतनामी तगालोग कुर्दिश होसा मलयालम तिलगू सवाहिली तमिल बर्मी थाई पशतो असमिया अल्बानियाई السويدية الأمهرية الهولندية الغوجاراتية Kirgisisch النيبالية Yoruba الليتوانية الدرية الصربية الصومالية Kinyarwanda الرومانية التشيكية الموري Malagasy इतालवी Oromo Kanadische Übersetzung الولوف Aserbaidschanisch الأوكرانية الجورجية
अनुवादों को प्रदर्शित करें

हदीस का संदेश

  1. नमाज़ में हर झुकने तथा उठने के समय तकबीर कही जाएगी। अल्बत्ता रुकू से उठने की बात इससे अलग है। इस समय "سمع الله لمن حمده" कहा जाएगा।
  2. सहाबा अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का अनुसरण तथा आपकी सुन्नत की सुरक्षा के प्रति बड़े सजग थे।
अधिक