عَنْ عِمْرَانَ بْنِ حُصَيْنٍ رَضِيَ اللَّهُ عَنْهُ قَالَ:
جَاءَ رَجُلٌ إِلَى النَّبِيِّ صَلَّى اللهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ فَقَالَ: السَّلَامُ عَلَيْكُمْ، فَرَدَّ عَلَيْهِ ثُمَّ جَلَسَ، فَقَالَ النَّبِيُّ صَلَّى اللهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ: «عَشْرٌ» ثُمَّ جَاءَ آخَرُ فَقَالَ: السَّلَامُ عَلَيْكُمْ وَرَحْمَةُ اللَّهِ، فَرَدَّ عَلَيْهِ فَجَلَسَ، فَقَالَ: «عِشْرُونَ» ثُمَّ جَاءَ آخَرُ فَقَالَ: السَّلَامُ عَلَيْكُمْ وَرَحْمَةُ اللَّهِ وَبَرَكَاتُهُ، فَرَدَّ عَلَيْهِ فَجَلَسَ، فَقَالَ: «ثَلَاثُونَ».
[حسن] - [رواه أبو داود والترمذي وأحمد والدارمي] - [سنن أبي داود: 5195]
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इम्रान बिन हुसैन -रज़ियल्लाहु अनहु- का वर्णन है, वह कहते हैं :
एक व्यक्ति अल्लाह के नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- के पास आया और कहा : 'अस्सलामु अलैकुम' (आपपर शांति अवतरित हो)। आपने उसके सलाम का उत्तर दिया और वह बैठ गया। फिर आपने कहा : "इसके लिए दस नेकियाँ लिखी गईं।" फिर दूसरा व्यक्ति आया और बोला : 'अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह' (आप पर शांति एवं अल्लाह की दया अवतरित हो)। तो आपने कहा : "इसके लिए बीस नेकियाँ लिखी गईं।" फिर तीसरा व्यक्ति आया और बोला : 'अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाहि व बरकातुह' (आप पर शांति, अल्लाह की दया और उसकी बरकतें अवतरित हों।) तो आपने कहा : "इसके लिए तीस नेकियाँ लिखी गईं।"
[ह़सन] - [رواه أبو داود والترمذي وأحمد والدارمي] - [سنن أبي داود - 5195]
एक व्यक्ति अल्लाह के नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- के पास आया और बोला : "अस्सलामु अलैकुम" आपने उसका उत्तर दे दिया और वह बैठ गया, तो आपने कहा : इसके लिए दस नेकियाँ लिख दी गईं। फिर दूसरा व्यक्ति आया और बोला : "अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह" आपने उसका उत्तर दे दिया और वह बैठ गया, तो आपने कहा : इसके लिए बीस नेकियाँ लिख दी गईं। फिर एक अन्य व्यक्ति आया और बोला : "अस्सलामु अलैकुल व रहमतुल्लाहि व बरकातुह" आपने उसका भी उत्तर दिया और वह बैठ गया, तो फ़रमाया : इसके लिए तीस नेकियाँ लिख दी गईं। यानी एक-एक शब्द पर दस-दस नेकियाँ।