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عَنِ ‌ابْنِ عُمَرَ رضي الله عنهما:
أَنَّ رَسُولَ اللهِ صَلَّى اللهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ خَطَبَ النَّاسَ يَوْمَ فَتْحِ مَكَّةَ، فَقَالَ: «يَا أَيُّهَا النَّاسُ، إِنَّ اللهَ قَدْ أَذْهَبَ عَنْكُمْ عُبِّيَّةَ الْجَاهِلِيَّةِ وَتَعَاظُمَهَا بِآبَائِهَا، فَالنَّاسُ رَجُلَانِ: بَرٌّ تَقِيٌّ كَرِيمٌ عَلَى اللهِ، وَفَاجِرٌ شَقِيٌّ هَيِّنٌ عَلَى اللهِ، وَالنَّاسُ بَنُو آدَمَ، وَخَلَقَ اللهُ آدَمَ مِنْ تُرَابٍ، قَالَ اللهُ: {يَا أَيُّهَا النَّاسُ إِنَّا خَلَقْنَاكُمْ مِنْ ذَكَرٍ وَأُنْثَى وَجَعَلْنَاكُمْ شُعُوبًا وَقَبَائِلَ لِتَعَارَفُوا إِنَّ أَكْرَمَكُمْ عِنْدَ اللهِ أَتْقَاكُمْ إِنَّ اللهَ عَلِيمٌ خَبِيرٌ} [الحجرات: 13]».

[صحيح] - [رواه الترمذي وابن حبان] - [سنن الترمذي: 3270]
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अब्दुल्लाह बिन अब्बास रज़ियल्लाहु अनहुमा का वर्णन है :
अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने मक्का विजय के दिन लोगों को संबोधित करते हुए कहा : "ऐ लोगो! अल्लाह ने तुमसे जाहिलीयत काल के अभिमान एवं बाप-दादाओं पर फ़ख़्र (घमंड) करने की प्रवृत्ति को दूर कर दिया है। अतः अब लोग दो प्रकार के हैं। एक, नेक, परहेज़गार और अल्लाह के यहाँ सम्मानित एवं दूसरा दुष्ट, अभागा तथा अल्लाह की नज़र में महत्वहीन व्यक्ति। सारे लोग आदम की संतान हैं और आदम को अल्लाह ने मिट्टी से पैदा किया है। उच्च एवं महान अल्लाह ने कहा है : "ऐ मनुष्यो! हमने तुम्हें एक नर और एक मादा से पैदा किया तथा हमने तुम्हें जातियों और क़बीलों में कर दिया, ताकि तुम एक-दूसरे को पहचान सको। निःसंदेह अल्लाह के निकट तुममें सबसे अधिक सम्मान वाला वह है, जो तुममें सबसे अधिक तक़्वा (धर्मप्रायणता) वाला है। निःसंदेह अल्लाह सब कुछ जानने वाला, पूरी ख़बर रखने वाला है।" [सूरा अल-हुजुरात : 13]

सह़ीह़ - इसे तिर्मिज़ी ने रिवायत किया है।

व्याख्या

अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने मक्का विजय के दिन लोगों को संबोधित करते हुए कहा : ऐ लोगो! अल्लाह ने तुम्हारे अंदर से जाहिलीयत काल के अभिमान एवं बाप-दादाओं पर घमंड करने की बीमारी को दूर कर दिया है। अब लोग दो ही प्रकार के हैं :
या तो नेक, परहेज़गार, आज्ञाकारी और अल्लाह की इबादत करने वाला मोमिन होगा, जो अल्लाह की नज़र में सम्मानित है, चाहे लोगों की नज़र में प्रतिष्ठावान एवं ऊँचे खानदान वाला न भी हो,
या फिर दुष्ट एवं अभागा अविश्वासी होगा, जो कि अल्लाह की नज़र में तुच्छ एवं महत्वहीन है, चाहे दुनिया की नज़र में जितना भी प्रतिष्ठावान एवं प्रभावशाली हो।
याद रहे कि सारे लोग आदम की संतान हैं और आदम को अल्लाह ने मिट्टी से पैदा किया है, इसलिए मिट्टी से पैदा होने वाले को अभिमान करना और आत्ममुग्ध होना शोभा नहीं देता। इसकी पुष्टि उच्च एवं महान अल्लाह के इस कथन से भी होती है : "ऐ मनुष्यो! हमने तुम्हें एक नर और एक मादा से पैदा किया तथा हमने तुम्हें जातियों और क़बीलों में कर दिया, ताकि तुम एक-दूसरे को पहचान सको। निःसंदेह अल्लाह के निकट तुममें सबसे अधिक सम्मान वाला वह है, जो तुममें सबसे अधिक तक़्वा (धर्मप्रायणता) वाला है। निःसंदेह अल्लाह सब कुछ जानने वाला, पूरी ख़बर रखने वाला है।" [सूरा अल-हुजुरात : 13]

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हदीस का संदेश

  1. हसब-नसब (वंश तथा गोत्र) पर अभिमान करने की मनाही।
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