عَنْ عَبْدِ اللَّهِ بنِ مسعُودٍ رَضِيَ اللَّهُ عَنْهُ قَالَ:
ذُكِرَ عِنْدَ النَّبِيِّ صَلَّى اللهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ رَجُلٌ نَامَ لَيْلَهُ حَتَّى أَصْبَحَ، قَالَ: «ذَاكَ رَجُلٌ بَالَ الشَّيْطَانُ فِي أُذُنَيْهِ، أَوْ قَالَ: فِي أُذُنِهِ».
[صحيح] - [متفق عليه] - [صحيح البخاري: 3270]
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अब्दुल्लाह बिन मसऊद रज़ियल्लाहु अनहु का वर्णन है, वह कहते हैं :
अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के यहाँ एक व्यक्ति के बारे में बताया गया कि वह रात को सुबह होने तक सोया रहा। यह सुनकर आपने कहा : "वह एक ऐसा व्यक्ति है, जिसके दोनों कानों या फ़रमाया कि कान में शैतान ने पेशाब कर दिया है।"
[सह़ीह़] - [इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।] - [صحيح البخاري - 3270]
अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के निकट एक व्यक्ति का ज़िक्र हुआ कि वह सूरज निकलने तक सोया रहा और फ़र्ज़ नमाज़ के लिए उठा ही नहीं। अतः आपने फ़रमाया : दरअसल वह ऐसा व्यक्ति है कि शैतान ने उसके कान में पेशाब कर दिया है।