+ -

عَنْ أَبِي هُرَيْرَةَ رضي الله عنه أَنَّ رَسُولَ اللهِ صَلَّى اللهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ قَالَ يَوْمَ خَيْبَرَ:
«لَأُعْطِيَنَّ هَذِهِ الرَّايَةَ رَجُلًا يُحِبُّ اللهَ وَرَسُولَهُ، يَفْتَحُ اللهُ عَلَى يَدَيْهِ» قَالَ عُمَرُ بْنُ الْخَطَّابِ: مَا أَحْبَبْتُ الْإِمَارَةَ إِلَّا يَوْمَئِذٍ، قَالَ فَتَسَاوَرْتُ لَهَا رَجَاءَ أَنْ أُدْعَى لَهَا، قَالَ فَدَعَا رَسُولُ اللهِ صَلَّى اللهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ عَلِيَّ بْنَ أَبِي طَالِبٍ، فَأَعْطَاهُ إِيَّاهَا، وَقَالَ: «امْشِ، وَلَا تَلْتَفِتْ، حَتَّى يَفْتَحَ اللهُ عَلَيْكَ» قَالَ فَسَارَ عَلِيٌّ شَيْئًا ثُمَّ وَقَفَ وَلَمْ يَلْتَفِتْ، فَصَرَخَ: يَا رَسُولَ اللهِ، عَلَى مَاذَا أُقَاتِلُ النَّاسَ؟ قَالَ: «قَاتِلْهُمْ حَتَّى يَشْهَدُوا أَنْ لَا إِلَهَ إِلَّا اللهُ وَأَنَّ مُحَمَّدًا رَسُولُ اللهِ، فَإِذَا فَعَلُوا ذَلِكَ فَقَدْ مَنَعُوا مِنْكَ دِمَاءَهُمْ وَأَمْوَالَهُمْ، إِلَّا بِحَقِّهَا وَحِسَابُهُمْ عَلَى اللهِ».

[صحيح] - [رواه مسلم] - [صحيح مسلم: 2405]
المزيــد ...

अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अनहु का वर्णन है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया :
"मैं यह झंडा एक ऐसे व्यक्ति को दूँगा, जो अल्लाह और उसके रसूल से प्यार करता हो और अल्लाह उसके हाथों विजय प्रदान करेगा।" उमर बिन ख़त्ताब (रज़ियल्लाहु अनहु) कहते हैं कि मुझे उस दिन के सिवा कभी अमीर बनने की इच्छा नहीं हुई। उनका कहना है कि मैं इस उम्मीद में अपने आप को ऊँचा का रहा था कि शायद बुला लिया जाऊँ। लेकिन, अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने अली बिन अबू तालिब रज़ियल्लाहु अनहु को बुलाकर झंडा उनके हाथ में दिया और फ़रमायाः "चल पड़ो और उस समय तक न मुड़ो, जब तक अल्लाह तुम्हारे हाथों विजय प्रदान न कर दे।" चुनांचे, अली रज़ियल्लाहु अनहु थोड़ा-सा चले और उसके बाद रुक गए, लेकिन मुड़े नहीं, बल्कि ऊँची आवाज़ में बोले : ऐ अल्लाह के रसूल, मैं किस बात पर लोगों से युद्ध करूँ? आपने फ़रमाया : "उनसे युद्ध करते रहो, यहाँ तक वे इस बात की गवाही दे दें अल्लाह के सिवा कोई सत्य पूज्य नहीं है और मुहम्मद अल्लाह के रसूल हैं। यदि उन्होंने ऐसा किया, तो अपने रक्त तथा धन को तुमसे सुरक्षित कर लिया। यह और बात है कि उनपर इस गवाही का कोई अधिकार सिद्ध हो जाए। तथा उनका हिसाब अल्लाह के हवाले है।"

[सह़ीह़] - [इसे मुस्लिम ने रिवायत किया है।] - [صحيح مسلم - 2405]

व्याख्या

अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने अपने साथियों से कहा कि अगले दिन मुसलमान मदीना के पास स्थित शहर ख़ैबर के यहूदियों पर विजयी होंगे। यह विजय उस व्यक्ति के हाथ में होगी जिसे आप झंडा प्रदान करेंगे, जो कि सेना का ध्वज है। इस व्यक्ति की एक विशेषता यह होगी कि वह अल्लाह और उसके रसूल से प्रेम करता है और अल्लाह और उसके रसूल उससे प्रेम करते हैं।
उमर बिन ख़त्ताब रज़ियल्लाहु अनहु कहते हैं कि एक वही दिन था, जब उनके अंदर इमारत की मोहब्बत जागी थी और दिल में बुलाए जाने की ख़्वाहिश इस आशा में पैदा हुई थी कि अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम द्वारा उल्लिखित अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की मोहब्बत प्राप्त करने का सौभाग्य उनको मिल जाए। उन्होंने अपने शरीर को इस आशा में लंबा किया कि अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम उनको देख लें, उनको बुला लें और झंडा प्रदान कर दें।
लेकिन अल्लाह के नबी सल्ल्ललाहु अलैहि व सल्लम ने अली बिन अबू तालिब रज़ियल्लाहु अनहु के बुलाया, झंडा प्रदान किया और आदेश दिया कि सेना के साथ चल पड़ें और दुश्मन से मिलने के बाद उनके क़िलों को जीत लेने तक आराम की तलाश या सुलह के आधार पर जंग से हाथ न खींचें।
चुनांचे अली रज़ियल्लाहु अनहु चल पड़े। एक बार रुके भी तो अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के आदेश के उल्लंघन से बचने के लिए पीछे मुड़े नहीं, ख़ैबर की ओर मुँह करके ही ऊँची आवाज़ में पूछा : ऐ अल्लाह के रसूल! मैं लोगों से किस बात पर जंग करूँ?
अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने उत्तर दिया : उनसे उस समय तक जंग करो, जब तक इस बात की गवाही न दे दें कि अल्लाह के सिवा कोई इबादत का हक़दार नहीं है और मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम अल्लाह के रसूल हैं। अगर उन्होंने तुम्हारे इस आह्वान को क़बूल कर लिया और इस्लाम में दाख़िल हो गए, तो उन्होंने अपने रक्त एवं अपने धन को तुमसे सुरक्षित कर लिया। हाँ, अगर कोई ऐसा अपराध कर बैठें कि इस्लाम के प्रावधानों के आलोक में क़त्ल के हक़दार बन जाएँ, तो बात अलग है। बाक़ी, उनका हिसाब लेना अल्लाह का काम है।

हदीस का संदेश

  1. सहाबा इमारत (शासन-प्रशासन) को नापसंद करते थे, क्योंकि यह बड़ी ज़िम्मेवारी का काम होता है।
  2. किसी ऐसे कार्य के प्रति अपनी इच्छा ज़ाहिर करना जायज़ है, जिसमें भलाई पाए जाने की प्रबल संभावना है।
  3. शासक सेनापति का युद्ध के मैदान में अपनाई जाने वाली रणनीति के बारे में मार्गदर्शन करेगा।
  4. सहाबा अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की वसीयतों का बढ़चढ़कर पालन करते थे।
  5. जिस व्यक्ति को उसे सोंगी गई ज़िम्मेदारियाँ समझ में न आएँ, उसे उनके बारे में पूछ लेना चाहिए।
  6. मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के अल्लाह के नबी होने के अनगिनत प्रमाणों में से एक प्रमाण यह है कि आपने ख़ैबर के यहूदियों पर विजयी होने की बात कही और विजयी हुए भी।
  7. अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के आदेश पर अविलंब करने की प्रेरणा।
  8. जो व्यक्ति दोनों गवाहियाँ दे दे, उसे क़त्ल करना जायज़ नहीं है। हाँ, अगर उससे क़त्ल को अनिवार्य करने वाला कोई काम हो जाए, तो बात और है।
  9. इस्लामी फैसले लोगों के ज़ाहिरी कार्यों के अनुसार जारी किए जाएँगे। उनके अन्दर छिपे रहस्यों का मालिक अल्लाह है।
  10. जिहाद का सबसे बड़ा उद्देश्य लोगों का इस्लाम में दाख़िल होना है।
अनुवाद: अंग्रेज़ी उर्दू स्पेनिश इंडोनेशियाई उइग़ुर फ्रेंच तुर्की रूसी बोस्नियाई सिंहली चीनी फ़ारसी वियतनामी कुर्दिश होसा पुर्तगाली मलयालम तिलगू सवाहिली जर्मन पशतो असमिया السويدية الهولندية الغوجاراتية Kirgisisch النيبالية الرومانية المجرية الموري Kanadische Übersetzung الأوكرانية الجورجية المقدونية
अनुवादों को प्रदर्शित करें
अधिक