عَنْ عَائِشَةَ رَضِيَ اللَّهُ عَنْهَا عَنِ النَّبِيِّ صَلَّى اللهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ قَالَ:
«الرَّضَاعَةُ تُحَرِّمُ مَا تُحَرِّمُ الوِلَادَةُ».
[صحيح] - [متفق عليه] - [الأربعون النووية: 44]
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आइशा -रज़ियल्लाहु अनहा- का वर्णन है कि अल्लाह के नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने फ़रमाया है :
“दूध पीने से वह रिश्ते हराम हो जाते हैं, जो जन्म के कारण से हराम होते हैं।”
[सह़ीह़] - [इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।] - [الأربعون النووية - 44]
अल्लाह के नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने बताया है कि रज़ाअत (बचपन में अपनी माँ के अतिरिक्त किसी और स्त्री का दूध पीने) से वह सारे रिश्ते हराम हो जाते हैं, जो जन्म एवं नसब के आधार पर हराम होते हैं। जैसे चचा, मामा और भाई आदि। इसी तरह रज़ाअत से वह सारी चीज़ें हलाल हो जाया करती हैं, जो जन्म के आधार पर हलाल हुआ करती हैं।