عَنْ عُبَادَةَ بْنِ الصَّامِتِ رَضيَ اللهُ عنهُ قَالَ: قَالَ رَسُولُ اللهِ صَلَّى اللهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ:
«الذَّهَبُ بِالذَّهَبِ، وَالْفِضَّةُ بِالْفِضَّةِ، وَالْبُرُّ بِالْبُرِّ، وَالشَّعِيرُ بِالشَّعِيرِ، وَالتَّمْرُ بِالتَّمْرِ، وَالْمِلْحُ بِالْمِلْحِ، مِثْلًا بِمِثْلٍ، سَوَاءً بِسَوَاءٍ، يَدًا بِيَدٍ، فَإِذَا اخْتَلَفَتْ هَذِهِ الْأَصْنَافُ، فَبِيعُوا كَيْفَ شِئْتُمْ، إِذَا كَانَ يَدًا بِيَدٍ».
[صحيح] - [رواه مسلم] - [صحيح مسلم: 1587]
المزيــد ...
उबादा बिन सामित -रज़ियल्लाहु अनहु- का वर्णन है, वह कहते हैं कि अल्लाह के रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने फ़रमाया है :
सोना के बदले में सोना, चाँदी के बदले में चाँदी, गेहूँ के बदले में गेहूँ, जौ के बदले में जौ, खजूर के बदले में खजूर और नमक के बदले में नमक, बराबर बराबर और समपरिमाण में होना चाहिए और हाथों हाथ आदान-प्रदान होना चाहिए। अगर ये वर्ग अलग-अलग हों और ख़रीद-बिक्री नक़द हो, तो तुम जैसे चाहो ख़रीद-बिक्री कर सकते हो।
[सह़ीह़] - [इसे मुस्लिम ने रिवायत किया है।] - [صحيح مسلم - 1587]
अल्लाह के नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने छह सूद वाले वर्गों यानी सोना, चाँदी, गेहूँ, जौ, खजूर और नमक के क्रय-विक्रय का सही तरीक़ा बताया है। अगर क्रय-विक्रय एक ही वर्ग की दो चीज़ों, जैसे सोना के बदले में सोना और चाँदी के बदले में चाँदी बेची गई हो, तो दो शर्तों का पाया जाना ज़रूरी है : 1- वह चीज़ वज़न की जाने वाली जैसे सोना एवं चाँदी हो तो वज़न बराबर हो और मापी जाने वाली जैसे गेहूँ, जौ, खजूर और नमक हो तो माप बराबर हो। 2- ख़रीदने और बेचने वाले क्रय-विक्रय के स्थान में ही सामान पर क़ब्ज़ा कर लें। अगर ये वर्ग अलग-अलग हों, जैसे सोने को चाँदी तथा खजूर को गेहूँ के बदले में बेचा जाए, तो क्रय-विक्रय एक शर्त के साथ जायज़ है। शर्त यह है कि खरीदने और बेचने वाले क्रय-विक्रय के स्थान में ही सामान पर क़ब्ज़ा कर लें। अगर ऐसा नहीं होता, तो क्रय-विक्रय अमान्य होगा और ख़रीदने तथा बेचने वाले दोनों सूदी लेनदेन करने वाले माने जाएँगे।