عَنْ بَهْزِ بْنِ حَكِيمٍ عَنْ أَبِيهِ عَنْ جَدِّهِ قَالَ:
قُلْتُ يَا رَسُولَ اللَّهِ: مَنْ أَبَرُّ؟ قَالَ: «أُمَّكَ، ثُمَّ أُمَّكَ، ثُمَّ أُمَّكَ، ثُمَّ أَبَاكَ، ثُمَّ الْأَقْرَبَ فَالْأَقْرَبَ».
[حسن] - [رواه أبو داود والترمذي وأحمد] - [سنن أبي داود: 5139]
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बह्ज़ बिन हकीम अपने पिता से और वह उनके दादा से वर्णन करते हैं, कहते हैं :
मैंने कहा : ऐ अल्लाह के रसूल! मेरे अच्छे बर्ताव का सबसे ज़्यादा हक़दार कौन है? आपने उत्तर दिया : "तेरी माँ, फिर तेरी माँ, फिर तेरी माँ, फिर तेरा बाप, फिर जो रिश्त्ते में सबसे निकट हो फिर जो रिश्ते में सबसे निकट ही।"
[ह़सन] - [رواه أبو داود والترمذي وأحمد] - [سنن أبي داود - 5139]
अल्लाह के नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने बताया है कि एक इन्सान के अच्छे व्यवहार, उपकार, बेहतर बर्ताव, उत्कृष्ट आचरण और साथ रहने तथा जोड़े रखने का सबसे ज़्यादा हक़दार उसकी माँ है। माँ के अधिकार को अन्य लोगों के अधिकारों से प्रबल दिखाने के लिए आपने अपनी इस बात को तीन बार दोहराया, ताकि इस बात को स्पष्ट कर दिया जाए कि माँ का अधिकार अन्य तमाम लोगों के अधिकारों से ऊपर है। फिर आपने अच्छे बर्ताव के मामले में उसके बाद आने वाले लोगों का ज़िक्र करते हुए बताया कि फिर उसके बाद नम्बर पिता का है। फिर निकटता के अनुसार अन्य रिश्तेदारों का। हर निकट का रिश्तेदार दूर के रिश्तेदार से अच्छे व्यवहार का अधिक हक़दार है।