عَنْ عَائِشَةَ رَضِيَ اللَّهُ عَنْهَا أَنَّ رَسُولَ اللَّهِ صَلَّى اللهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ قَالَ:
«تَحَرَّوْا لَيْلَةَ القَدْرِ فِي الوِتْرِ مِنَ العَشْرِ الأَوَاخِرِ مِنْ رَمَضَانَ».
[صحيح] - [متفق عليه] - [صحيح البخاري: 2017]
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आइशा -रज़ियल्लाहु अनहा- का वर्णन है कि अल्लाह के रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने फ़रमाया है :
"शब-ए-क़द्र को (रमज़ान के) अंतिम दस दिनों की विषम रातों में तलाश करो।"
[सह़ीह़] - [इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।] - [صحيح البخاري - 2017]
अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने अधिक से अधिक नेकी के कामों के साथ लैलतुल क़द्र (सम्मानित रात्रि) को तलाश करने की कोशिश करने की प्रेरणा दी है। लैलतुल क़द्र रमज़ान के अंतिम दस दिनों की विषम रातों यानी इक्कीसवीं, तेईसवीं, पच्चीसवीं, सत्ताईसवीं और उनतीसवीं रातों में से किसी एक रात में हुआ करती है।