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عَنْ عَائِشَةَ رَضِيَ اللَّهُ عَنْهَا أَنَّ رَسُولَ اللَّهِ صَلَّى اللهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ قَالَ:
«تَحَرَّوْا لَيْلَةَ القَدْرِ فِي الوِتْرِ مِنَ العَشْرِ الأَوَاخِرِ مِنْ رَمَضَانَ».

[صحيح] - [متفق عليه] - [صحيح البخاري: 2017]
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आइशा -रज़ियल्लाहु अनहा- का वर्णन है कि अल्लाह के रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने फ़रमाया है :
"शब-ए-क़द्र को (रमज़ान के) अंतिम दस दिनों की विषम रातों में तलाश करो।"

[सह़ीह़] - [इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।] - [صحيح البخاري - 2017]

व्याख्या

अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने अधिक से अधिक नेकी के कामों के साथ लैलतुल क़द्र (सम्मानित रात्रि) को तलाश करने की कोशिश करने की प्रेरणा दी है। लैलतुल क़द्र रमज़ान के अंतिम दस दिनों की विषम रातों यानी इक्कीसवीं, तेईसवीं, पच्चीसवीं, सत्ताईसवीं और उनतीसवीं रातों में से किसी एक रात में हुआ करती है।

हदीस का संदेश

  1. शब-ए-क़द्र की फ़ज़ीलत और उसे तलाश करने की प्रेरणा।
  2. अल्लाह की हिकमत एवं दया का तक़ाज़ा यह हुआ कि इस रात को छुपाकर रखा, ताकि इसकी तलाश में लोग खूब इबादत किया करें और उन्हें बड़ा प्रतिफल प्राप्त हो सके।
  3. शब-ए-क़द्र रमज़ान की अंतिम दस रातों में से कोई एक रात हुआ करती है। इस बात की आशा अधिक है कि अंतिम दस रातों में से कोई विषम रात हो।
  4. शब-ए-क़द्र रमज़ान की अंतिम दस रातों में से कोई एक रात है। इसी रात में अल्लाह ने अपने नबी मुहम्मद -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- पर क़ुरआन उतारा और उसे बरकत, सम्मान और उसमें किए गए अच्छे कार्यों के प्रतिफल के मामले में एक हज़ार रातों से बेहतर क़रार दिया।
  5. इस रात को लैलतुल क़द्र या तो इसकी फ़ज़ीलत एवं प्रतिष्ठा की बिना पर कहा गया है। अरबी में कहा जाता है : "فلان عظيم القدر" यानी अमुक बड़ी प्रतिष्ठित व्यक्ति है। इस हिसाब से यहाँ "الليلة" का संबंध "القدْر" के साथ विशेष्य तथा विशेषण वाला संबंध है। यानी प्रतिष्ठि रात्रि।उच्च एवं महान अल्लाह ने कहा है : "إِنَّا أَنْزَلْنَاهُ فِي لَيْلَةٍ مُبَارَكَةٍ" [सूरा दुख़ान : 3] यानी हमने इसे एक बरकत वाली रात में उतारा है। ऐसा भी हो सकता है कि लैलतुल क़द्र में में आया हुआ क़द्र शब्द तक़दीर के अर्थ में हो। इस परिस्थिति में लैलतुल क़द्र के दोनों शब्दों का संबंध एक समय का उसमें घटित होने वाली चीज़ों के साथ संबंध है। यानी एक ऐसी रात है, जिसमें साल भर होने वाली घटनाओं का निर्धारण कर दिया जाता है। उच्च एवं महान अल्लाह ने कहा है : "فِيهَا يُفْرَقُ كُلُّ أَمْرٍ حَكِيمٍ" [सूरा दुख़ान : 4] यानी इस रात हर सुदृढ़ कार्य का निर्णय कर दिया जाता है।
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