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عَنْ عَائِشَةَ أُمِّ المؤْمِنينَ رَضِيَ اللهُ عَنْهَا:
كَانَ رَسُولُ اللهِ صَلَّى اللهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ يَجْتَهِدُ فِي الْعَشْرِ الْأَوَاخِرِ مَا لَا يَجْتَهِدُ فِي غَيْرِهِ.

[صحيح] - [رواه مسلم] - [صحيح مسلم: 1175]
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मुसलमानों की माता आइशा रज़ियल्लाहु अनहा का वर्णन है कि
अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम रमज़ान महीने के अंतिम दस दिनों में दूसरे दिनों की तुलना में कहीं अधिक इबादत में लीन रहा करते थे।

[सह़ीह़] - [इसे मुस्लिम ने रिवायत किया है।] - [صحيح مسلم - 1175]

व्याख्या

अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का मामूल यह था कि जब रमज़ान के अंतिम दस दिन आते, तो अन्य दिनों की तुलना में कहीं ज़्यादा इबादत और विभिन्न प्रकार के नेकी के कामों में व्यस्त हो जाते थे। आप ऐसा उन रातों के महत्व को सामने रखते हुए लैलतुल क़द्र की तलब में किया करते थे।

हदीस का संदेश

  1. सामान्य रूप से रमज़ान के महीने के दौरान और विशेष रूप से इसके अंतिम दस दिनों के दौरान नेकी और विभिन्न अच्छे काम प्रचुर मात्रा में करने के लिए प्रोत्साहन।
  2. रमज़ान महीने के अंतिम दस दिन इक्कीसवीं रात से शुरू होकर महीने के अंत तक रहते हैं।
  3. फ़ज़ीलत वाले समयों को नेकी के कामों में लगाना मुसतहब है।
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