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عَنْ أَبِي سَعِيدٍ الْخُدْرِيِّ رَضيَ اللهُ عنهُ أَنَّ رَسُولَ اللهِ صَلَّى اللهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ قَالَ:
«يَا أَبَا سَعِيدٍ، مَنْ رَضِيَ بِاللهِ رَبًّا، وَبِالْإِسْلَامِ دِينًا، وَبِمُحَمَّدٍ نَبِيًّا، وَجَبَتْ لَهُ الْجَنَّةُ»، فَعَجِبَ لَهَا أَبُو سَعِيدٍ، فَقَالَ: أَعِدْهَا عَلَيَّ يَا رَسُولَ اللهِ، فَفَعَلَ، ثُمَّ قَالَ: «وَأُخْرَى يُرْفَعُ بِهَا الْعَبْدُ مِائَةَ دَرَجَةٍ فِي الْجَنَّةِ، مَا بَيْنَ كُلِّ دَرَجَتَيْنِ كَمَا بَيْنَ السَّمَاءِ وَالْأَرْضِ»، قَالَ: وَمَا هِيَ يَا رَسُولَ اللهِ؟ قَالَ: «الْجِهَادُ فِي سَبِيلِ اللهِ، الْجِهَادُ فِي سَبِيلِ اللهِ».

[صحيح] - [رواه مسلم] - [صحيح مسلم: 1884]
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अबू सईद -रज़ियल्लाहु अनहु- का वर्णन है कि अल्लाह के रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने फ़रमाया है :
"ऐ अबू सईद! जो अल्लाह के रब होने, इस्लाम के धर्म होने और मुहम्मद के रसूल होने से संतुष्ट हो गया, उसके लिए जन्नत अनिवार्य हो गई।" आपकी इस बात से अबू सईद -रज़ियल्लाहु अन्हु- को आश्चर्य हुआ। अतः बोले : ऐ अल्लाह के रसूल! इसे ज़रा दोहरा दें। अतः आपने इस वाक्य को दोहरा दिया और फ़रमाया : "एक और कार्य है, जिसके ज़रिए जन्नत में बंदे की एक सौ श्रेणियाँ ऊँची कर दी जाती हैं, जबकि उसकी हर दो श्रेणियों के बीच उतना फ़ासला है, जितना आकाश और धरती के बीच है।" उन्होंने कहा : ऐ अल्लाह के रसूल! वह कार्य है कौन-सा? फ़रमाया : "अल्लाह के मार्ग में जिहाद करना, अल्लाह के मार्ग में जिहाद करना।"

[सह़ीह़] - [इसे मुस्लिम ने रिवायत किया है।] - [صحيح مسلم - 1884]

व्याख्या

अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने अबू सईद ख़ुदरी रज़ियल्लाहु अनहु को बताया कि जो व्यक्ति अल्लाह पर ईमान लाया और उसके पालनहार, पूज्य, मालिक, प्रभु और आदेशकर्ता होने पर संतुष्ट हो गया, इस्लाम को दीन मानकर तथा उसके आदेशों एवं निषेधों के अनुपालन से संतुष्ट हो गया, मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के नबी होने और आपकी तमाम शिक्षाओं से संतुष्ट हो गया, उसके लिए जन्नत वाजिब हो गई। इसपर अबू सईद ख़ुदरी रज़ियल्लाहु अनहु को बड़ा आश्चर्य हुआ। चुनांचे उन्होंने अनुरोध किया : ऐ अल्लाह के रसूल! ज़रा इस बात को दोहरा दें। आपने उनके अनुरोध को स्वीकार करते हुए उसे दोहराया और उसके बाद फ़रमाया : मेरे पास एक और अमल का ज्ञान है, जिसके द्वारा अल्लाह जन्नत में बंदे के सौ दर्जे ऊँचे कर देता है, जिनमें से हर दो दर्जों के बीच आकाश एवं धरती की दूरी के बराबर फ़ासला है। अबू सईद ख़ुदरी रज़ियल्लाहु अनहु ने पूछा : ऐ अल्लाह के रसूल! वह अमल कौन-सा है? आपने जवाब दिया : अल्लाह के मार्ग में जिहाद करना। अल्लाह के मार्ग में जिहाद करना।

हदीस का संदेश

  1. अल्लाह को पालनहार मानकर, इस्लाम को दीन मानकर और मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को नबी मानकर संतुष्ट रहना जन्नत का हक़दार बना देने वाली चीज़ों में से एक है।
  2. अल्लाह के मार्ग में जिहाद करने का महत्व।
  3. अल्लाह के मार्ग में जिहाद करने वाले का उच्च स्थान।
  4. जन्नत के अनगिनत दर्जे हैं और मुजाहिदों के लिए उनमें से सौ दर्जे हैं।
  5. अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के साथियों का अच्छी चीज़ों और उनके कारणों को जानने का जज़्बा।
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