عن أَنَسِ بْنِ مَالِكٍ رَضِيَ اللَّهُ عَنْهُ قَالَ: قَالَ النَّبِيُّ صَلَّى اللهُ عَلَيْهِ وَسَلَّمَ:
«تَسَحَّرُوا، فَإِنَّ فِي السَّحُورِ بَرَكَةً».
[صحيح] - [متفق عليه] - [صحيح البخاري: 1923]
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अनस बिन मालिक -रज़ियल्लाहु अनहु- का वर्णन है, वह कहते हैं कि अल्लाह के नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने फ़रमाया है :
"तुम लोग सहरी खाया करो, क्योंकि सहरी में बरकत है।"
[सह़ीह़] - [इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।] - [صحيح البخاري - 1923]
अल्लाह के नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने सहरी करने के लिए प्रेरित किया है। सहरी कहते हैं रोज़े की तैयारी के तौर पर रात के अंतिम भाग में खाने को। प्रेरित करने का कारण यह है कि उसमें बड़ा प्रतिफल तथा सवाब, रात के अंतिम भाग में दुआ के लिए जागने, रोज़ा रखने की शक्ति प्राप्त करने, अपने अंदर रोज़े के लिए चुस्ती पैदा करने और रोज़े की मशक़्क़त को कम करने जैसी चीज़ें पाई जाती हैं।