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अबू मसऊद अंसारी बदरी -रज़ियल्लाहु अनहु- कहते हैं कि अल्लाह के नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने फ़रमाया है :
"पूर्व के नबियों की वाणियों में से जो बातें लोगों को प्राप्त हुईं, उनमें से एक यह है कि जब तेरे अंदर शर्म व हया न रहे, तो जो चाहे, कर।"
[सह़ीह़] - [इसे बुख़ारी ने रिवायत किया है।] - [الأربعون النووية - 20]
अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने बताया है कि पिछले नबियों की की हुई जो वसीयतें लोगों में प्रचलित रही हैं और नस्ल दर नस्ल हस्तांतरित होती हुई इस उम्मत की पहली नस्ल तक पहुँची हैं, उनमें से एक यह है कि जो काम तुम करना चाहते हो, उसे पहले देख लो, काम अगर ऐसा हो कि उसे करने में हया न की जाती है, तो कर डालो। लेकिन काम अगर ऐसा हो कि उसे करते हुए हया की जाती है, तो छोड़ दो। क्योंकि बुरे कामों से रोकने वाली चीज़ हया ही है। जिसके अंदर हया न हो, वह हर अश्लील और ग़लत काम में संलिप्त हो जाएगा।