عن عبد الله بن مسعود رضي الله عنه عن النبي صلى الله عليه وسلم أنه قال: "أكبر الكبائر: الإشراك بالله، والأمن من مَكْرِ الله، والقُنُوطُ من رحمة الله، واليَأْسُ من رَوْحِ الله".
[إسناده صحيح] - [رواه عبد الرزاق]
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अब्दुल्लाह बिन अब्बास (रज़ियल्लाहु अंहुमा) से वर्णित है कि अल्लाह के नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फ़रमायाः सबसे बड़े गुनाह हैंः अल्लाह का साझी बनाना, अल्लाह के उपाय से निश्चिंत हो जाना तथा उसकी दया एवं कृपा से निराश होना।
[इसकी सनद सह़ीह़ है।] - [इसे अब्दुर रज़्ज़ाक़ ने रिवायत किया है।]
अल्लाह के रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने इस हदीस में कुछ गुनाह बताए हैं, जो बड़े गुनाहों में शामिल हैं। उनमें से पहला गुनाह है, किसी को अल्लाह की तरह पालनहार अथवा पूज्य बना लेना। चूँकि यह सबसे बड़ा गुनाह है, इसलिए इसे सबसे पहले बयान किया गया है। दूसरा गुनाह है, अल्लाह की दया से निराश हो जाना, जो कि अल्लाह से बदगुमानी और उसकी असीम कृपा से अनभिज्ञता को दर्शाता है। जबकि तीसरा गुनाह है, बंदे का, निरंतर नेमतें मिलने पर इस बात से निश्चिंत हो जाना कि अल्लाह उसकी पकड़ कर सकता है। इस हदीस का यह अर्थ नहीं है कि बड़े गुनाह केवल इतने ही हैं। बड़े गुनाह बहुत-से हैं। यहाँ केवल अधिक बड़े गुनाहों का उल्लेख है।