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عن أبي هريرة رضي الله عنه قال: كنا مع رسول الله صلى الله عليه وسلم في دعوة، فَرُفِعَ إليه الذِّرَاعُ، وكانت تعجبه، فَنَهَسَ منها نَهْسَةً وقال: «أنا سَيِّدُ الناس يوم القيامة، هل تدرون مِمَّ ذاك؟ يجمع الله الأولين والآخرين في صَعِيدٍ واحد، فيُبْصرُهُم الناظر، يُسْمِعُهُمُ الداعي، وتَدْنُو منهم الشمس، فيبلغ الناس من الغَمِّ والكَرْبِ ما لا يُطيقُون ولا يحتملون، فيقول الناس: ألا ترون ما أنتم فيه إلى ما بَلَغَكُم، ألا تنظرون من يشفع لكم إلى ربكم؟ فيقول بعض الناس لبعض: أبوكم آدم. فيأتونه فيقولون: يا آدم أنت أبو البشر، خلقك الله بيده، ونفخ فيك من روحه، وأمر الملائكة فسجدوا لك، وأسكنك الجنة، ألا تشفع لنا إلى ربك؟ ألا ترى إلى ما نحن فيه وما بلغنا؟ فقال: إن ربي غضب اليوم غضبًا لم يغضب قبله مثله، ولا يغضب بعده مثله، وإنه نهاني عن الشجرة فعصيتُ، نفسي نفسي نفسي، اذهبوا إلى غيري، اذهبوا إلى نوح، فيأتون نوحًا فيقولون: يا نوح، أنت أول الرسل إلى أهل الأرض، وقد سماك الله عبدًا شكورًا، ألا ترى إلى ما نحن فيه، ألا ترى إلى ما بلغنا، ألا تشفع لنا إلى ربك؟ فيقول: إن ربي غضب اليوم غضبًا لم يغضب قبله مثله، ولن يغضب بعده مثله، وإنه قد كانت لي دعوة دعوتُ بها على قومي، نفسي نفسي نفسي، اذهبوا إلى غيري، اذهبوا إلى إبراهيم، فيأتون إبراهيم فيقولون: يا إبراهيم، أنت نبي الله وخليله من أهل الأرض، اشْفَعْ لنا إلى ربك، ألا ترى إلى ما نحن فيه؟ فيقول لهم: إن ربي قد غضب اليوم غضبًا لم يغضب قبله مثله، ولن يغضب بعده مثله، وإني كنت كذبت ثلاث كَذَبَات؛ نفسي نفسي نفسي، اذْهَبُوا إلى غيري، اذْهَبُوا إلى موسى، فيأتون موسى فيقولون: يا موسى أنت رسول الله، فضلك الله برسالاته وبكلامه على الناس، اشْفَعْ لنا إلى ربك، ألا ترى إلى ما نحن فيه؟ فيقول: إن ربي قد غضب اليوم غضبًا لم يغضب قبله مثله، ولن يغضب بعده مثله، وإني قد قتلت نفسًا لم أُومَرْ بقتلها، نفسي نفسي نفسي، اذهبوا إلى غيري؛ اذهبوا إلى عيسى. فيأتون عيسى فيقولون: يا عيسى، أنت رسول الله وكلمته ألقاها إلى مريم وروح منه، وَكَلَّمْتَ الناس في المهد، اشْفَعْ لنا إلى ربك، ألا ترى إلى ما نحن فيه؟ فيقول عيسى: إن ربي قد غضب اليوم غضبًا لم يغضب قبله مثله، ولن يغضب بعده مثله، ولم يذكر ذنبًا، نفسي نفسي نفسي، اذهبوا إلى غيري، اذهبوا إلى محمد صلى الله عليه وسلم ». وفي رواية: «فيأتوني فيقولون: يا محمد أنت رسول الله وخاتم الأنبياء، وقد غفر الله لك ما تقدم من ذنبك وما تأخر، اشْفَعْ لنا إلى ربك، ألا ترى إلى ما نحن فيه؟ فأنْطَلِقُ فآتي تحت العرش فأقع ساجدًا لربي، ثم يفتح الله عليَّ من مَحَامِدِه وحُسْنِ الثناء عليه شيئًا لم يفتحه على أحد قبلي، ثم يقال: يا محمد ارفع رأسك، سَلْ تُعْطَهْ، اشْفَعْ تُشَفَّعْ، فأرفع رأسي، فأقول: أمتي يا رب، أمتي يا رب، أمتي يا رب. فيقال: يا محمد أدخلْ من أمتك من لا حساب عليهم من الباب الأيمن من أبواب الجنة، وهم شركاء الناس فيما سوى ذلك من الأبواب». ثم قال: «والذي نفسي بيده، إن ما بين الْمِصْرَاعَيْنِ من مصاريع الجنة كما بين مكة وهَجَر، أو كما بين مكة وبُصْرَى».
[صحيح] - [متفق عليه]
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अबू हुरैरा -रज़ियल्लाहु अन्हु- से रिवायत है, वह कहते हैं कि हम लोग अल्लाह के रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- के साथ एक निमंत्रण में थे। आपके सामने बाज़ू का मांस रखा गया, जो आपको पसंद भी था। आपने उसमें से एक बार दाँत से काटकर खाया और फ़रमाया : “क़यामत के दिन मैं लोगों का सरदार रहूँगा। क्या तुम जानते हो ऐसा क्यों होगा? अल्लाह तआला अगले तथा पिछले सब लोगों को एक बड़े तथा समतल मैदान में जमा करेगा, जहाँ आवाज़ देने वाले की आवाज़ सब को पहुँच सकेगी और देखने वाला सब को देख सकेगा और सूरज बहुत नज़दीक होगा। लोगों को असहनीय दुःख तथा कष्ट का सामना होगा। अतः, लोग आपस में कहेंगे : क्या तुम नहीं देखते कि कैसी तकलीफ़ में पड़ चुके हो? तुम किसी ऐसे व्यक्ति की तलाश क्यों नहीं करते, जो तुम्हारे रब के सामने तुम्हारी सिफ़ाश कर सके? फिर आपस में एक-दूसरे से कहेंगे कि अपने पिता आदम -अलैहिस्सलाम- के पास चलो। अतः, वे आदम -अलैहिस्सलाम- के पास आएँगे और कहेंग : आप इनसानों के पिता हैं, अल्लाह तआला ने आपको अपने हाथों से बनाया, फिर आपके अंदर रूह फूँकी, फरिश्तों को सजदा करने का आदेश दिया, तो उन्होंने आपको सजदा किया और अल्लाह ने आपको जन्नत में बसाया। क्या आप हमारे लिए सिफ़ारिश नहीं करेंगे? क्या आप नहीं देखते कि हम कैसी तकलीफ़ में हैं? आदम -अलैहिस्सलाम- कहेंगे : आज मेरा रब बहुत गुस्से में है। ऐसा गुस्सा न कभी पहले किया था और न बाद में करेगा। मुझे उसने एक पेड़ के फल से मना किया था, लेकिन मैंने खा लिया था। मुझे अपनी चिंता सता रही है। मुझे अपनी चिंता सता रही है। मुझे अपनी चिंता सता रही है। तुम किसी दूसरे के पास जाओ। तुम नूह -अलैहिस्सलाम- के पास जाओ। लोग नूह -अलैहिस्सलाम- के पास आएँगे और कहेंगे : ऐ नूह, आप प्रथम रसूल बनकर ज़मीन पर आए और अल्लाह ने आपको अपना शुक्रगुज़ार बंदा कहा है। क्या आप नहीं देखते कि हम कैसी तकलीफ़ में हैं? क्या आप नहीं देखते है कि हमें कितनी कठिनाई का सामना है? क्या आप अपने पालनहार के सामने हमारी सिफ़ारिश नहीं करेंगे? वह कहेंगे : आज मेरा रब बहुत गुस्से में है। न इससे पहले कभी ऐसे गुस्से में था और न बाद में कभी ऐसे गुस्से में होगा। दरअसल, मुझे एक दुआ का अधिकार था, जो मैं अपनी जाति के विरुद्ध कर माँग हूँ। मुझे अपनी चिंता सता रही है। मुझे अपनी चिंता सता रही है। मुझे अपनी चिंता सता रही है। मेरे सिवा तुम किसी और के पास जाओ। तुम इबराहीम -अलैहिस्सलाम- के पास जाओ। यह सुनकर सब लोग इबराहीम –अलैहिस्सलाम- के पास आएँगे और कहेंगे : ऐ इबराहीम! आप अल्लाह के नबी और तमाम अहले ज़मीन में से उसके दोस्त हैं। आप परवरदिगार के पास हमारी सिफारिश करें। क्या आप नहीं देखते कि हमें कैसी तकलीफ़ हो रही है? लेकिन वह भी उनसे कहेंगे : आज मेरा रब बहुत गुस्से में है। न इससे पहले कभी इतना गुस्सा हुआ और न बाद में होगा। मैंने (दुनिया में) तीन झूठी बातें कही थीं। मुझे अपनी चिंता सता रही है। मुझे अपनी चिंता सता रही है। मुझे अपनी चिंता सता रही है। मेरे सिवा तुम किसी और के पास जाओ। अच्छा, तुम मूसा –अलैहिस्सलाम- के पास जाओ। फिर लोग मूसा -अलैहिस्सलाम- के पास जाएँगे और कहेंगे : ऐ मूसा ! आप अल्लाह के रसूल हैं। अल्लाह ने आपको, अपने साथ बात करने का सौभाग्य प्रदान करके और रसूल बनाकर, अन्य लोगों की तुलना में श्रेष्ठता प्रदान की है। आज आप अल्लाह के सामने हमारी सिफ़ारिश करें। क्या आप नहीं देखते कि हम किस प्रकार के कष्ट में हैं? मूसा -अलैहिस्सलाम- कहेंगे : आज तो मेरा रब बहुत गुस्से में है। इतना गुस्सा न कभी हुआ था और न कभी होगा। दरअसल, मैंने एक ऐसे व्यक्ति का वध कर दिया था, जिसके वध का मुझे आदेश न था। मुझे अपनी चिंता सता रही है। मुझे अपनी चिंता सता रही है। मुझे अपनी चिंता सता रही है। तुम किसी और के पास जाओ। तुम ईसा –अलैहिस्सलाम- के पास जाओ। चुनाँचे सब लोग ईसा -अलैहिस्सलाम- के पास आएँगे और कहेंगे : ऐ ईसा! आप अल्लाह के रसूल और वह कलमा हैं, जो उसने मरियम -अलैहस्सलाम- की तरफ़ भेजा था। आप उसकी रूह हैं और आपने गोद में लोगों से बात की थी। आप हमारे लिए सिफारिश करें। आप देखें कि हम किस मुसीबत में हैं? ईसा -अलैहिस्सलाम- कहेंगे कि आज मेरा परवरदिगार बहुत गुस्से में है। इतना गुस्सा वह न कभी हुआ था और न कभी में होगा। ईसा -अलैहिस्सलाम- किसी गुनाह का ज़िक्र नहीं करेंगे। अलबत्ता, यह ज़रूर कहेंगे : मुझे अपनी चिंता सता रही है। मुझे अपनी चिंता सता रही है। मुझे अपनी चिंता सता रही है। मेरे अलावा किसी और के पास जाओ। तुम लोग मुहम्मद -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- के पास जाओ।” एक अन्य रिवायत में है : “ फिर लोग मेरे पास आएँगे और कहेंगे : ऐ मुहम्मद! आप अल्लाह के रसूल और अंतिम नबी हैं। अल्लाह ने आपके अगले तथा पिछले सब गुनाह माफ़ कर दिए हैं। आप अल्लाह से हमारी सिफारिश फरमाएँ। क्या आप नहीं देखते कि हम कैसे कष्ट में हैं? अतः मैं चल पड़ूँगा और अर्श के नीचे जाकर अपने रब के सामने सजदे में गिर जाऊँगा। फिर अल्लाह अपनी प्रशंसा तथा स्तुति की ऐसी-ऐसी बातें मेरे दिल मे डाल देगा, जो मुझसे पहले किसी के दिल में नहीं डाली गई होंगी। चुनाँचे मैं उसीके अनुसार अल्लाह की प्रशंसा व स्तुति करूँगा। फिर कहा जाएगा : ऐ मुहम्मद! अपना सिर उठाओ। तुम माँगो, तुम्हें दिया जाएगा तथा सिफ़ारिश करो, तुम्हारी सिफ़ारिश ग्रहण की जाएगी। अतः, मैं सिर उठाऊँगा और कहूँगा : ऐ मेरे रब! मेरी उम्मत पर रहम फ़रमा। ऐ मेरे रब! मेरी उम्मत पर रहम फ़रमा। ऐ मेरे रब! मेरी उम्मत पर रहम फ़रमा। चुनाँचे कहा जाएगा : ऐ मुहम्मद! अपनी उम्मत के उन लोगों को, जिनका हिसाब नहीं होगा, जन्नत के दाएँ दरवाज़े से दाख़िल करो। जबकि वे अन्य लोगों के साथ, दूसरे दरवाज़ों से भी जन्नत में प्रवेश कर सकते हैं।” फिर आपने फरमाया : “क़सम है उस ज़ात की जिसके हाथ में मेरी जान है! जन्नत के दरवाज़ों के दो पटों के बीच की दूरी मक्का और हजर या मक्का और बुसरा के बीच की दूरी के बराबर है।”
[सह़ीह़] - [इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।]

व्याख्या

अबू हुरैरा -रज़ियल्लाहु अनहु- कहते हैं कि वे अल्लाह के रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- के साथ एक निमंत्रण में थे। आपके सामने एक बाज़ू रखा गया, तो आपने उसमें से एक बार दाँत से काटकर खाया। वैसे, आपको बकरी का बाज़ू पसंद था, क्योंकि उसका मांस पूरे शरीर का सबसे उत्तम, नर्म, जल्दी हज़म होने वाला और लाभकारी मांस होता है। आपने उसमें से एक बार दाँत से काटकर लिया और उसके बाद अपने साथियों को यह अद्भुत और लंबी हदीस सुनाई। फ़रमाया : मुझे क़यामत के दिन आदम की संतान के सरदार होने का सौभाग्य प्राप्त रहेगा। इसमें कोई संदेह भी नहीं है कि आप उच्च एवं बरकत वाले अल्लाह के निकट आदम की संतान के सरदार और सबसे उत्कृष्ट इन्सान हैं। फिर आपने उनसे पूछा : क्या तुम जानते हो कि ऐसा क्यों होगा? उन्होंने उत्तर दिया : नहीं, ऐ अल्लाह के रसूल! तब उनके सामने अपनी उत्कृष्टता तथा प्रतिष्ठा का बखान करते हुए फ़रमाया कि क़यामत के दिन शुरू से अंत तक के सारे लोग एक विस्तृत एवं समतल भूमि में एकत्र किए जाएँगे। जैसा कि सर्वशक्तिमान एवं महान अल्लाह ने फ़रमाया है : "आप कह दें कि निस्संदेह सब अगले तथा पिछले लोग अवश्य एकत्र किए जाएँगे एक निर्धारित दिन के समय।" तमाम लोगों को एक ही भूमि में एकत्र किया जाएगा। भूमि भी उस दिन आज की तरह गेंद के आकार की नहीं, बल्कि चिपटी होगी। नज़र दौड़ाओगे, तो तुम्हें दूर-दूर फैली हुई दिखेगी। धरती बिल्कुल समतल होगी। उसमें न पहाड़ होंगे, न वादियाँ होंगी, न नहरें होंगी और न समुद्र होंगे। वहाँ पुकारने वाले की आवाज़ सब लोगों तक पहुँच रही होगी और उसकी नज़र सब को देख रही होगी। क्योंकि उस दिन धरती गोल नहीं होगी कि कोई किसी से छिप जाए। सब लोग बिल्कुल एक समतल स्थल में होंगे। उस दिन सूरज सृष्टियों से निकट आ जाएगा और केवल एक मील की दूरी पर होगा। लोगों को असहनीय कष्ट और दुःख का सामना होगा। ऐसे में वे चाहेंगे कि कोई सर्वशक्तिमान एवं महान अल्लाह के निकट उनकी सिफ़ारिश कर दे, ताकि कम से कम इस स्थान की भयावहता से मुक्ति मिल सके। चुनांचे अल्लाह उनके दिल में डालेगा कि वे मानव जाति के पिता आदम -अलैहिस्सलाम- के पास जाएँ। सो, लोग उनके पास जाएँगे और उनकी फ़ज़ीलत बयान करेंगे कि शायद वह अल्लाह के निकट उनकी सिफ़ारिश कर दें। लोग उनसे कहेंगे : आप मानव जाति के पिता हैं। सारे इन्सान, पुरुष हों कि स्त्री, आप ही की नस्ल से हैं। अल्लाह ने आपको अपने हाथ से पैदा किया, जिसका उल्लेख स्वयं उसने इबलीस का खंडन करते हुए कुछ इस तरह किया है : "तुझे उसे सजदा करने से किस चीज़ ने रोका, जिसे मैंने अपने हाथ से पैदा किया है?" फिर फ़रिश्तों से आपको सजदा करवाया। खुद उसी ने कहा है : "और जब हमने फ़रिश्तों से कहा कि आदम को सजदा करो, तो सबने सजदा किया।" आपको सारी चीज़ों के नाम सिखाए। अल्लाह तआला ने कहा है : "और हमने आदम को सभी नाम सिखा दिए।" आपके अंदर आत्मा फूँकी। अल्लाह तआला ने कहा है : "तो जब मैं उसे पूरा बना लूँ और उसमें अपनी आत्मा फूँक दूँ, तो उसके लिए सजदे में गिर जाना।" इन बातों से सारे इन्सान अवगत हैं। विशेष रूप से मुहम्मद -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- की उम्मत, जिसे अल्लाह ने वह ज्ञान दिया है, जो और किसी को नहीं दिया है। लेकिन आदम -अलैहिस्सलाम- विवशता व्यक्त करते हुए कहेंगे : मेरा रब आज जितना क्रोधित है, उतना क्रोधित न पहले कभी हुआ है और न बाद में कभी होगा। फिर वह अपने गुनाह का ज़िक्र करेंगे। उनका गुनाह यह था कि अल्लाह ने उन्हें एक पेड़ का फल खाने से मना किया था, लेकिन उन्होंने खा लिया था। अल्लाह तआला का फ़रमान है : "इस वृक्ष के समीप न जाना, अन्यथा अत्याचारियों में से हो जाओगे।" उन्हें इसकी सज़ा यह दी गई कि जन्नत से निकाल कर धरती में उतार दिए गए। चुनांचे आदम -अलैहिस्सलाम- अपने इस गुनाह का उल्लेख करते हुए कहेंगे : मुझे स्वयं अपनी चिंता सता रही है, मुझे स्वयं अपनी चिंता सता रही है, मुझे स्वयं अपनी चिंता सता रही है। तुम मेरे सिवा किसी और के पास चले जाओ। तुम नूह -अलैहिस्सलाम- के पास चले जाओ। नूह -अलैहिस्सलाम- मानव जाति के दूसरे पिता हैं। अल्लाह ने उनको झुठलाने वाले तमाम धरती वासियों को डुबो दिया था। अल्लाह तआला का फ़रमान है : "नूह के साथ बहुत कम लोग ईमान लाए थे।" उनके सिवा किसी और की नस्ल जारी न रह सकी। लोग, जो बड़ी बेचैनी और परेशानी के शिकार होंगे, नूह -अलैहिस्सलाम- के पास जाएँगे और उनको अल्लाह से मिली हुई नेमतें याद दिलाएँगे और कहेंगे कि वे अल्लाह के भेजे हुए पहले रसूल हैं और अल्लाह ने उनको शुक्रगुज़ार बंदा कहा है। लेकिन वे भी आदम -अलैहिस्सलाम- की तरह बता देंगे कि अल्लाह आज इतना क्रोधित है कि न इससे पहले इतना क्रोधित हुआ था और न बाद में कभी इतना क्रोधित होगा। फिर वह अपनी जाति के हक़ में की गई अपनी इस बददुआ का ज़िक्र करेंगे : "मेरे पालनहार! धरती में काफ़िरों का कोई घराना न छोड़।" जबकि एक रिवायत में है कि वह अपने बेटे के हक़ में की गई उस दुआ का ज़िक्र करेंगे, जिसका उल्लेख इन आयतों में है : "तथा नूह़ ने अपने पालनहार से प्रार्थना की और कहाः मेरे पालनहार! मेरा पुत्र मेरे परिजनों में से है। निश्चय तेरा वचन सत्य है तथा तू ही सबसे अच्छा निर्णय करने वाला है। अल्लाह ने उत्तर दियाः वह तेरा परिजन नहीं है। (क्योंकि) वह कुकर्मी है। अतः मुझसे उस चीज़ का प्रश्न न कर, जिसका तुझे कोई ज्ञान नहीं। मैं तुझे बताता हूँ कि अज्ञानों में न हो जा।" वह अपने गुनाह का ज़िक्र करेंगे, हालाँकि सिफ़ारिशकर्ता की सिफ़ारिश उसी समय ग्रहण होती है, जब उसके तथा जिसके पास वह सिफ़ारिश कर रहा होता है उसके बीच कोई ऐसी बात न हो जो वहशत का कारण बनती हो, जबकि अवज्ञा से बंदा तथा उसके पालनहार के बीच वहशत पैदा होती है। यही कारण है कि वह अपने गुनाह का ज़िक्र करते हुए कहेंगे कि मुझे स्वयं अपनी चिंता सता रही है, मुझे स्वयं अपनी चिंता सता रही है, मुझे स्वयं अपनी चिंता सता रही है। फिर वह लोगों को इबराहीम -अलैहिस्सलाम- की ओर भेज देंगे। चुनांचे लोग उनके पास आकर कहेंगे : आप धरती में अल्लाह के घनिष्ठ मित्र हैं। इसी तरह उनके अन्य गुण बयान करेंगे और उसके बाद इस बात का अनुरोध करेंगे कि अपने पालनहार के पास उनकी सिफ़ारिश कर दें। लेकिन इबराहीम -अलैहिस्सलाम- भी विवशता प्रकट करेंगे और कहेंगे कि उन्हें तीन बार झूठ कहा था, इसलिए उन्हें स्वयं अपनी चिंता है। जहाँ तक उनके द्वारा कहे गए तीन झूठ की बात है, तो उनमें पहला यह है कि उन्होंने एक अवसर पर कहा था कि मैं बीमार हूँ, जबकि वह बीमार नहीं थे। उन्होंने यह बात अपनी जाति के लोगों को, जो तारों की पूजा करते थे, चुनौति देते हुए कही थी। जहाँ तक उनके दूसरे झूठ की बात है, तो उससे मुराद उनका यह कथन है : "बल्कि यह काम उनके इस बड़े ने किया है।" यानी अन्य मूर्तियों को तोड़ने का काम सबसे बड़ी मूर्ति ने किया है। हालाँकि मूर्तियों को बड़ी मूर्ति ने नहीं, बल्कि इबराहीम -अलैहिस्सलाम- ने स्वयं तोड़ा था। लेकिन यह बात उन्होंने मूर्तिपूजकों चुनौति देते हुए कही थी। जबकि उनका तीसरा झूठ यह था कि उन्होंने काफ़िर राजा के अत्याचार से बचने के लिए उससे अपनी पत्नी के बारे में कहा था कि यह मेरी बहन है। हालाँकि वह बहन तो थी नहीं। वैसे, यह बातें बज़ाहर तो झूठ थीं, लेकिन असलन झूठ नहीं थीं। मगर, सख़्त परहेज़गारी और अल्लाह से हया के कारण इसे भी गुनाह समझेंगे और कहेंगे कि मुझे स्वयं अपनी चिंता सता रही है। अतः तुम मेरे अतिरिक्त किसी और के पास जाओ। तुम मूसा -अलैहिस्सलाम- के पास चले जाओ। चुनांचे लोग मूसा -अलैहिस्सलाम- के पास जाएँगे और उनकी कुछ विशेषताएँ बयान करेंगे और कहेंगे कि अल्लाह ने उनसे बात की है और धरती वालों की ओर संदेशवाहक बनाकर भेजा है। लेकिन वह भी एक गुनाह का ज़िक्र करते हुए कहेंगे कि उन्होंने एक व्यक्ति का वध अल्लाह की अनुमति प्राप्त होने से पहले कर दिया था। जिस व्यक्ति का वध हुआ था, वह एक क़िबती था, जो एक इसराईली से लड़ रहा था। चूँकि मूसा बनू इसराईल से थे और क़िबती फ़िरऔन का अनुयायी था, "अतः पुकारा उसने, जो उसके गिरोह से था, उसके विरुध्द, जो उसके शत्रु में से था। जिसपर मूसा ने उसे घूँसा मारा और वह मर गया।" हालाँकि उनको क़िबती के वध का आदेश नहीं मिला था। अतः उनको लगेगा कि इसके कारण उनकी सिफ़ारिश ग्रहण नहीं होगी। इसलिए वह कहेंगे कि मुझे स्वयं अपनी चिंता सता रही है। तुम मेरे सिवा किसी और के पास जाओ। तुम ईसा -अलैहिस्सलाम- के पास चले जाओ। लोग ईसा -अलैहिस्सलाम- के पास जाएँगे और उनपर अल्लाह के जो उपकार हुए थे, उनका उल्लेख करेंगे। लोग बताएँगे कि अल्लाह ने उनके अंदर अपनी आत्मा फूँकी है और वह अल्लाह के शब्द हैं, जिसे उसने मरयम की गर्भ में डाल दिया था, और वह अल्लाह की ओर से आने वाली आत्मा हैं। क्योंकि उन्हें पिता के बिना पैदा किया गया था। लेकिन वह अपने किसी गुनाह के उल्लेख किए बिना लोगों को अंतिम रसूल मुहम्मद -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- की ओर भेज देंगे। यह मुहम्मद -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- के लिए बहुत बड़े सम्मान की बात है कि चार नबी अपने द्वारा किए गए कुछ कार्यों का उल्लेख करते हुए सिफ़ारिश करने से विवशता व्यक्त कर देंगे और एक नबी अपने किसी कार्य का तो उल्लेख नहीं करेंगे, लेकिन यह समझेंगे कि मुहम्मद -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- उनसे उत्तम हैं। अंत में लोग अल्लाह के रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- के पास आएँगे, तो आप उनके अनुरोध को स्वीकार कर लेंगे। आप अर्श के नीचे सजदे में गिर पड़ेंगे। उस समय अल्लाह आपके दिल में अपनी प्रशंसा एवं स्तुति के ऐसे शब्द डाल देगा, जो किसी और के दिल में डाले नहीं गए थे। फिर आपसे कहा जाएगा : आप अपना सर उठाइए और जो कुछ कहना चाहते हैं, कहिए, आपकी बात सुनी जाएगी। आप जो माँगना चाहते हैं, माँगिए, आपको दिया जाएगा। आप सिफ़ारिश कीजिए, आपकी सिफ़ारिश मानी जाएगी। अतः आप सिफ़ारिश करते हुए कहेंगे : ऐ मेरे रब! मेरी उम्मत को मुक्ति प्रदान कीजिए। चुनांचे अल्लाह आपकी सिफ़ारिश ग्रहण कर लेगा और आपसे कहा जाएगा : अपनी उम्मत को जन्नत के दाहिने द्वार से अंदर दाख़िल कीजिए, जबकि अन्य द्वारों से भी वे लोगों को साथ अंदर जा सकेंगे। यह हदीस इस बात का स्पष्ट प्रमाण प्रस्तुत करती है कि अल्लाह के नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- श्रेष्ठतम रसूल हैं और रसूलगण श्रेष्ठतम सृष्टि हैं।

अनुवाद: अंग्रेज़ी उर्दू स्पेनिश इंडोनेशियाई फ्रेंच रूसी बोस्नियाई सिंहली चीनी फ़ारसी वियतनामी कुर्दिश पुर्तगाली सवाहिली असमिया الغوجاراتية
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