عن أبي هريرة رضي الله عنه قال: بال أعرابي في المسجد، فقام الناس إليه لِيَقَعُوا فيه، فقال النبي صلى الله عليه وسلم : «دعوه وأريقوا على بوله سَجْلاً من ماء، أو ذَنُوبًا من ماء، فإنما بُعِثْتُمْ مُيَسِّرِينَ، ولم تُبْعَثُوا مُعَسِّرِينَ».
[صحيح] - [متفق عليه، واللفظ للبخاري]
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अबू हुरैरा (रज़ियल्लाहु अन्हु) से रिवायत है, उन्होंने फ़रमाया कि एक देहाती मस्जिद में पेशाब करने लगा, तो लोग उसे डाँटने के उद्देश्य से उसकी ओर बढ़े। लेकिन, नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फ़रमाया : "उसे छोड़ दो और उसके पेशाब पर एक डोल पानी बहा दो। क्योंकि तुम आसानी पैदा करने के लिए भेजे गए हो। तुम्हें सख़्ती करने के लिए नहीं भेजा गया है।"
[सह़ीह़] - [इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है और शब्द बुख़ारी के हैं।]