عن المِقْدَادُ رضي الله عنه في حديثه الطويل: كنا نَرَفَعُ للنبي صلى الله عليه وسلم نَصِيبَهُ من اللَّبَنِ ، فَيَجِيءُ من الليل، فَيُسَلِّمُ تسليما لا يُوقِظُ نائما، ويُسْمِعُ اليَقْظَانَ، فجاء النبي صلى الله عليه وسلم فَسَلَّمَ كما كان يُسَلِّمُ.
[صحيح] - [رواه مسلم]
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मिक़दाद- रज़ियल्लाहु अन्हु- अपनी वर्णित एक लंबी हदीस में कहते हैंः हम दूध में से अल्लाह के नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) का भाग उठाकर रख लेते थे। आप रात को आते और धीरे से सलाम करते ताकि सोने वाला तो न जागे, परन्तु जागने वाला सुन ले। अतः, अल्लाह के नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) आए और वैसे ही सलाम किया, जैसे सलाम किया करते थे।
[सह़ीह़] - [इसे मुस्लिम ने रिवायत किया है।]