عن عائشة رضي الله عنها قالت: ما غِرْتُ على نساء النبي صلى الله عليه وسلم إلا على خديجة، وإني لم أُدركها، قالت: وكان رسول الله صلى الله عليه وسلم إذا ذبح الشاة، فيقول: «أرسلوا بها إلى أصدقاء خديجة»، قالت: فأغضبتُه يوما، فقلتُ: خديجة، فقال رسول الله صلى الله عليه وسلم : «إني قد رُزِقْتُ حُبَّها».
[صحيح] - [رواه مسلم]
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आइशा -रज़ियल्लाहु अन्हा- कहती हैं कि मुझे नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- की पत्नियों में से केवेल ख़दीजा पर ग़ैरत आती थी। हालाँकि मेरे विवाह से पहले ही उनका निधन हो चुका था। वह कहती हैंः अल्लाह के रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- जब बकरी ज़बह करते, तो कहतेः "इस में से ख़दीजा की सहेलियों को भेजो।" वह कहती हैं कि मैंने एक दिन आप को नाराज करदिया, और मैंने कहा: खदीजा! तो अल्लाह के रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने फ़रमायाः "मेरे अंदर उसका प्रेम रचा-बसा है।"
[सह़ीह़] - [इसे मुस्लिम ने रिवायत किया है।]