عن أنس رضي الله عنه قال: خطَّ النبيُّ صلى الله عليه وسلم خُطُوطاً، فقال: "هذا الإنسان، وهذا أجَلُهُ، فبينَما هو كذلكَ إذ جاءَ الخَطُّ الأقْرَبُ".
عن ابن مسعود رضي الله عنه قال: خطَّ النبيُّ صلى الله عليه وسلم خطاً مربعاً، وخطَّ خطاً في الوسطِ خارجاً منه، وخطَّ خططاً صغاراً إلى هذا الذي في الوسطِ من جانبِه الذي في الوسطِ، فقال: «هذا الإنسانُ، وهذا أجلُهُ محيطاً بِه -أو قد أحاطَ بِه- وهذا الذي هو خارجٌ أملُهُ، وهذه الخُطَطُ الصِّغَارُ الأعْرَاضُ، فإن أخطَأهُ هذا، نَهَشَهُ هذا، وإن أخطَأهُ هذا، نَهَشَهُ هذا».
[صحيحان] - [حديث أنس: رواه البخاري ولفظه في البخاري: "هذا الأمل"، بدل: "هذا الإنسان".
حديث ابن مسعود: رواه البخاري]
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अनस -रज़ियल्लाहु अन्हु- कहते हैं कि नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने कुछ रेखाएँ खींचीं और फ़रमाया : "यह इनसान है और यह उसकी मौत है। इनसान इसी अवस्था में रहता है कि निकटमत रेखा पहुँच जाती है।"
इब्ने मसऊद -रज़ियल्लाहु अनहु- कहते हैं कि नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने एक वर्गाकार रेखा खींची और उसके बीचोबीच से बाहर निकलती हुई एक रेखा खींची। उसके बदा बीच वाली रेखा के उस भाग में, जो वर्गाकार रेखा के अंदर था, छो-छोटी बहुत-सी रेखाएँ खींचीं और फ़रमाया : "यह इनसान है, यह उसकी मौत है जो उसे चारों ओर से घेरे हुए है, यह निकली हुई रेखा उसकी आशा है और ये छोटी-छोटी रेखाएँ दुर्घटनाएँ हैं। इनसान जब एक दुर्घटना से बचकर निकलता है, तो दूसरी में फँस जाता है और जब दूसरी से बचकर निकलता है, तो तीसरी में फँस जाता है।"
[दोनों रिवायतों को मिलाकर सह़ीह़] - [इसे बुख़ारी ने रिवायत किया है।]