عن عائشة رضي الله عنها مرفوعاً: «ما ضرب رسول الله صلى الله عليه وسلم شيئا قَطُّ بيده، ولا امرأة ولا خادما، إلا أن يجاهد في سبيل الله، وما نيِل منه شيء قَطُّ فينتقم من صاحبه، إلا أن ينتهك شيء من محارم الله تعالى، فينتقم لله تعالى».
[صحيح] - [رواه مسلم]
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आइशा -रज़ियल्लाहु अुन्हा- से मरफ़ूअन वर्णित है : अल्लाह के रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने कभी किसी को अपने हाथ से नहीं मारा। इसी तरह किसी महिला तथा दास पर भी हाथ नहीं उठाया। यह और बात है कि अल्लाह के रास्ते में जिहाद कर रहे हों। इसी तरह कभी ऐसा नहीं हुआ कि आपको कोई कष्ट दिया गया और आपने उसका बदला लिया हो। हाँ, यदि अल्लाह की सीमाओं का उल्लंघन किया जाता, तो अल्लाह के लिए बदला लेते।
सह़ीह़ - इसे मुस्लिम ने रिवायत किया है।

व्याख्या

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