عن عبد الله بن عمرو بن العاص رضي الله عنهما مرفوعاً: «ما من غازيَةٍ أو سَرِيَّةٍ تغزو فَتَغْنَم وَتَسْلَمُ إلا كانوا قد تَعَجَّلُوا ثُلُثَي أُجُورِهِمْ، ومَا من غَازِيَةٍ أَوْ سَرِيَّةٍ تُخْفِقُ وَتُصَابُ إِلاَّ تم أُجُورُهُمْ».
[صحيح] - [رواه مسلم]
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अब्दुल्लाह बिन अम्र बिन आस -अल्लाह उनसे प्रसन्न हो- से मरफ़ूअन वर्णित है : "जो सेना जिहाद करते हुए माले-ग़नीमत प्राप्त करती है और मौत से सुरक्षित रहती है, उसे दो तिहाई प्रतिफल मिल जाता है और जो सेना माले-ग़नीमत से वंचित रहती है और शहीद हो जाती है, उसे पूरा-पूरा प्रतिफल मिल जाता है।"
सह़ीह़ - इसे मुस्लिम ने रिवायत किया है।

व्याख्या

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