عن ابن مسعود رضي الله عنه قال: صليت مع النبي صلى الله عليه وسلم ليلة، فأطال القيام حتى هَمَمْتُ بأمْرِ سُوءٍ! قيل: وما هَمَمْتَ به؟ قال: هَمَمْتُ أن أجلس وأَدَعَه.
[صحيح] - [متفق عليه]
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अब्दुल्लाह बिन मसऊद- रज़ियल्लाहु अन्हु- कहते हैं कि मैंने एक रात अल्लाह के नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के साथ तहज्जुद की नमाज़ पढ़ी। आप इतनी देर तक खड़े रहे कि मेरी नीयत बिगड़ गई। उनसे पूछा गया कि आपने क्या इरादा किया था? तो बोलेः सोचने लगा था कि आपको छोड़कर बैठ जाऊँ।
[सह़ीह़] - [इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।]