عن أبي سعيد الخدري رضي الله عنه مرفوعاً: «كَيْفَ أَنْعَمُ! وصَاحِبُ القَرْنِ قَدِ التَقَمَ القَرْنَ، واسْتَمَعَ الإِذْنَ مَتَى يُؤْمَرُ بالنَّفْخِ فَيَنْفُخُ»، فَكَأَنَّ ذَلِكَ ثَقُلَ على أصحابِ رسولِ اللهِ صلى الله عليه وسلم فقال لهم: «قُولُوا: حَسْبُنَا اللهُ ونِعْمَ الوَكِيلُ».
[صحيح] - [رواه الترمذي وأحمد]
المزيــد ...

अबू सईद ख़ुदरी (रज़ियल्लाहु अंहु) से वर्णित है कि नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फ़रमायाः "भला मुझे चैन कैसे मिल सकता है, जबकि सूर में फूँक मारने पर नियुक्त फ़रिश्ते ने सूर को अपने मुँह से लगा रखा है और अनुमति की प्रतीक्षा में है। जैसे ही फूँक मारने की अनुमति प्राप्त होगी, वह फूँक मार देंगे।" ऐसा प्रतीत हो रहा था कि यह बात अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के साथियों को बड़ी भारी लगी, इसलिए आपने उनसे फ़रमायाः "तुम कह लिया करोः हमारे लिए अल्लाह ही काफ़ी है और वह सबसे अच्छा काम बनाने वाला है।"
सह़ीह़ - इसे तिर्मिज़ी ने रिवायत किया है।

व्याख्या

अनुवाद: अंग्रेज़ी फ्रेंच स्पेनिश तुर्की उर्दू इंडोनेशियाई बोस्नियाई रूसी बंगला चीनी फ़ारसी उइग़ुर होसा
अनुवादों को प्रदर्शित करें
अधिक