عن أنس -رضي الله عنه - أن رسول الله صلى الله عليه وسلم قال: "إذا أراد الله بعبده الخير عجل له العقوبة في الدنيا، وإذا أراد بعبده الشر أمسك عنه بذنبه حتى يُوَافِيَ به يومَ القيامة".
[صحيح] - [رواه الترمذي]
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अनस (रज़ियल्लाहु अन्हु) कहते हैं कि अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फरमायाः "जब अल्लाह अपने बंदे के साथ भलाई का इरादा करता है, तो उसे दुनिया ही में जल्दी सज़ा दे देता है और जब अपने बंदे के साथ बुराई का इरादा करता है, तो उसके गुनाहों की सज़ा को रोके रखता है, यहाँ तक कि वह क़यामत के दिन अपने सारे गुनाहों के साथ उपस्थित होगा।"
सह़ीह़ - इसे तिर्मिज़ी ने रिवायत किया है।

व्याख्या

अल्लाह के नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) सूचित कर रहे हैं कि बंदे से अल्लाह के भलाई के इरादे की निशानी यह है कि वह उसके गुनाहों की सज़ा दुनिया ही में शीघ्र दे दे; ताकि वह दुनिया से इस अवस्था में जाए कि उसके सिर पर गुनाह का बोझ न हो, जिसे क़यामत के दिन लेकर हाज़िर हो, क्योंकि जिसके अमल का बदला दुनिया ही में दे दिया गया, आखिरत में उसका हिसाब हल्का होगा। तथा बंदे के साथ अल्लाह के बुराई के इरादे की निशानी यह है कि दुनिया में उसके गुनाहों का बदला न दिया जाए, ताकि क़यामत के दिन वह अपने गुनाहों का बोझ लादकर आए और उचित बदला पाए।

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