عن عائشة رضي الله عنها قالت: «كان رسول الله صلى الله عليه وسلم إذا سَكَتَ المؤذن بالأولى من صلاة الفجر قام، فركع ركعتين خفيفتين قبل صلاة الفجر، بعد أن يَسْتَبينَ الفجر، ثم اضطجع على شِقِّهِ الأيمن، حتى يأتيه المؤذن للإقامة».
[صحيح] - [متفق عليه]
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आइशा -रज़ियल्लाहु अन्हा- कहती हैं कि जब मुअज़्ज़िन फ़ज्र की नमाज़ की अज़ान देकर ख़ामोश हो जाता, तो अल्लाह के रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- खड़े होते और फ़ज्र की नमाज़ से पहले दो हल्की-हल्की रकातें पढ़ते। यह फ़ज्र का समय हो जाने के बाद की बात है। फिर बाईं करवट पर लेट जाते, यहाँ तक मुअज़्ज़िन इक़ामत के लिए आता।
सह़ीह़ - इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।

व्याख्या

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