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عن أبي هريرة رضي الله عنه أن رسول الله صلى الله عليه وسلم قال: «لا يَقْتَسِمُ وَرَثَتي دينارًا ولا درهمًا، ما تَرَكْتُ بَعْدَ نَفَقَة نسائي، ومئونَة عامِلي فهو صَدَقة».
[صحيح] - [متفق عليه]
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अबू हुरैरा -रज़ियल्लाहु अन्हु- से रिवायत है कि अल्लाह के रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने फ़रमायाः "मेरे वारिस न दीनार तक़सीम करेंगे, न दिरहम। जो कुछ मैं अपनी पत्नियों के ख़र्च और अपने लिये काम करने वाले (ख़लीफ़ा आदि ) के ख़र्च के बाद छोड़ूँ, वह सदक़ा है।"
[सह़ीह़] - [इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।]

व्याख्या

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