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عن أنس بن مالك رضي الله عنه ، قال: حَجَّ النبي صلى الله عليه وسلم على رَحْلٍ رَثٍّ، وقَطِيفة تُساوي أربعة دراهم، أو لا تُساوي، ثم قال: «اللهمَّ حَجَّة لا رِياءَ فيها، ولا سُمْعَة».
[صحيح] - [رواه ابن ماجه]
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अनस बिन मालिक -रज़ियल्लाहु अन्हु- से वर्णित है वह कहते हैं कि नबी - सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने अपनी हज यात्रा एक पुराने ज़ीन तथा मामूली चादर पर (आरंभ) की जिसका मुल्य चार दिरहम के बराबर था या उस से भी कम था, फिर आप ने कहाः ऐ अल्लाह, ऐसा हज विशुद्ध रूप से केवल तेरे लिए है जिस में ढ़ोंग व पाखंड का कोई अंश नहीं है।
[सह़ीह़] - [इसे इब्ने माजा ने रिवायत किया है ।]

व्याख्या

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