عن عائشة رضي الله عنها : "أُنْزِلَتْ هذه الآية: {لا يؤاخذكم الله باللغو في أيمانكم} [البقرة: 225] في قول الرجل: لا والله وبَلَى والله".
[صحيح] - [رواه البخاري]
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आइशा -रज़ियल्लाहु अन्हा- से रिवायत है, वह कहती हैं कि यह आयत {لا يؤاخذكم الله باللغو في أيمانكم} (अल्लाह तुम्हारी निरर्थक क़समों पर तुम्हारी पकड़ नहीं करेगा।) [सूरा बक़रा : 225] लोगों की इस तरह की बातों के बारे में उतरी है : नहीं अल्लाह की क़सम तथा क्यों नहीं अल्लाह की क़सम।
सह़ीह़ - इसे बुख़ारी ने रिवायत किया है।

व्याख्या

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