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عن عبد الله بن عباس رضي الله عنهما قال: "ما السماوات السبع والأرضون السبع في كَفِّ الرحمن إلا كَخَرْدَلَةٍ في يد أحدكم".
[نقل الألباني تصحيحه عن ابن تيمية ولم يتعقبه] - [رواه عبد الله بن الإمام أحمد لكن بلفظ: "في يد الله" وابن جرير الطبري والذهبي]
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अब्दुल्लाह बिन अब्बास (रज़ियल्लाहु अंहुमा) कहते हैंः "अत्यंत कृपाशील अल्लाह की हथेली में सातों आसमान और सातों ज़मीनें ऐसी हैं, जैसे तुममें से किसी के हाथ में राई का एक दाना हो।"
[अलबानी ने इब्ने तैमीया से नक़ल किया है कि ये ह़दीस सह़ीह़ है और उनके फ़ैसले पर अपनी राय नहीं दी है।] - [इसे इब्ने जरीर ने रिवायत किया है । - इसे ज़हबी ने 'अल्-उलू' में रिवायत किया है। - इसे अब्दुल्लाह बिन इमाम अह़मद ने रिवायत किया है।]

व्याख्या

यहाँ अब्दुल्लाह बिन अब्बास -रज़ियल्लाहु अनहुमा- बता रहे हैं कि यह विशाल सात आकाश तथा भारी-भरकम सात धरतियाँ रहमान की हथेली की तुलना में ऐसी हैं, जैसे हममें से किसी की हथेली में राई का छोटा-सा दाना हो। यहाँ अल्लाह की हथेली को इनसान की हथेली के समान क़रार नहीं दिया गया है, बल्कि दोनों उदाहरणों में जो व्यापक अंतर है, उसे समझाया गया है, क्योंकि जैसे अल्लाह की हस्ती के समान कोई वस्तु नहीं है, उसी तरह उसकी विशेषताओं के समान भी किसी की विशेषताएँ नहीं हैं।

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