عن عائشة رضي الله عنها قالت: «أَهدَى رسول الله صلى الله عليه وسلم مَرَّةً غَنَمًا».
[صحيح] - [متفق عليه]
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आयशा- रज़ियल्लाहु अन्हा- कहती हैं कि अल्लाह के रसूल- सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने एक बार हरम- मक्का- में कुर्बानी के लिए बकरी भेजी।
[सह़ीह़] - [इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।]
यहाँ आइशा (रज़ियल्लाहु अंहा) अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) की 'हदी' के बारे में बता रही हैं। 'हदी' उस जानवर को कहते हैं, जिसे अल्लाह की निकटता प्राप्त करने के उद्देश्य से, हरम में ज़बह करने के लिए, मक्का भेजा जाए। यह सुन्नत तथा नेकी का कार्य है। अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने बकरी भी भेजी है और ऊँट भी भेजा है। सुन्नत तरीका यह है कि उसे अल्लाह की निकटता प्राप्त करने के लिए हरम में ज़बह किया जाए और उसका मांस हरम के फक़ीरों एवं मिस्कीनों में बाँट दिया जाए। रही बात उस 'हदी' की, जो 'तमत्तो' और 'क़िरान' में वाजिब होता है या हज के किसी वाजिब कार्य को छोड़ने अथवा कोई हराम कार्य कर गुज़रने के कारण वाजिब होता है, तो वह वाजिब है और उसे 'फ़िदया' कहा जाता है। लेकिन यह 'हदी', जिसका उल्लेख आइशा (रज़ियल्लाहु अंहा) कर रही हैं, उसे एक मुसलमान अपनी इच्छा से, अपने नगर से या रास्ते में ख़रीदकर, अल्लाह के घर की ओर भेजता है, ताकि अल्लाह की निकटता प्राप्त कर सके।