عن عبد الله بن عُمَرَ وأبي هُرَيْرَةَ وأبي ذر رضي الله عنهم عن النبي - صلى الله عليه وسلم - أنه قال: «إذا اشْتَدَّ الْحَرُّ فَأَبْرِدُوا بالصلاة. فإن شدة الْحَرِّ من فَيْحِ جَهَنَّمَ».
[صحيح] - [متفق عليه عن أبي هريرة وأبي ذر -رضي الله عنهما-، ورواه البخاري عن ابن عمر -رضي الله عنهما]
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अब्दुल्लाह बिन उमर, अबू हुरैरा और अबूज़र- रज़ियल्लाहु अम्हुम- का वर्णन है कि अल्लाह के रसूल- सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने फ़रमयाः जब गर्मी अधिक तेज़ हो, तो ज़ुहर की नमाज़ ज़रा ठंड पड़ने पर पढ़ा करो, क्योंकि गर्मी की भीषणता जहन्नम की लपट का एक भाग है।
सह़ीह़ - इसे बुख़ारी ने रिवायत किया है।

व्याख्या

अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने भीषण गर्मी (जो कि जहन्नम के साँस लेने और उसकी लपट के कारण होती है) के समय ज़रा देर करके, ठंडा होने पर नमाज़ पढ़ने का आदेश दिया है। ताकि ऐसा न हो कि गर्मी और परेशानी के कारण इनसान सुकून से नमाज़ न पढ़ सके।

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