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عن مَسْلَمَةَ سَعِيدِ بْنِ يَزِيد قال: سألت أنس بن مالك: أكان النبي صلى الله عليه وسلم يُصَلِّي في نَعْلَيْهِ؟ قال: «نعم».
[صحيح] - [رواه البخاري]
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मसलमा सईद बिन यज़ीद कहते हैं कि मैंने अनस बिन मालिक- रज़ियल्लाहु अन्हु- से पूछाः क्या अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) अपने दोनों जूतों समेत नमाज़ पढ़ते थे? उन्होंने कहाः हाँ।
[सह़ीह़] - [इसे बुख़ारी ने रिवायत किया है।]

व्याख्या

शरीयत के उद्देश्यों में, किताब वालों की मुख़ालफ़त तथा मुसलमानों के लिए परेशानी का कारण बनने वाली हर वस्तु को हटाना भी शामिल है। सईद बिन ज़ैद, जो एक विश्वसनीय 'ताबिई' हैं, उन्होंने अनस बिन मालिक -रज़ियल्लाहु अनहु- से, प्यारे रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- के बारे में पूछा कि क्या आप जूते पहनकर नमाज़ पढ़ते थे, ताकि वह भी आपको आदर्श बनाकर ऐसा कर सकें? यह भी हो सकता है कि वह इस चीज़ को असंभव समझते रहे हों, क्योंकि जूतों में आम तौर पर गंदगी रहती ही है। सो अनस -रज़ियल्लाहु अनहु- ने उन्हें जवाब दिया कि हाँ, आप जूते पहनकर नमाज़ पढ़ा करते थे। यह आपकी सुन्नत है, जो किसी निर्धारित स्थान अथवा निर्धारित समय के साथ खास नहीं है।

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