عن زَهْدَم بن مُضَرِّبٍ الْجَرْمي قالَ: «كنا عند أبي موسى الأشعري، فدعا بمائدة وعليها لحم دجاج، فدخل رجل من بني تَيْمِ الله أَحْمَرُ، شَبِيهٌ بِالمَوَالِي، فقال له: هَلُمَّ، فَتَلَكَّأَ، فقال له: هَلُمَّ، فإني رأيتُ رسول الله صلى الله عليه وسلم يأكل منه».
[صحيح] - [متفق عليه]
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ज़हदम बिन मुज़र्रिब जरमी कहते हैं कि हम लोग अबू मूसा अशअरी (रज़ियल्लाहु अनहु) के पास थे। उन्होंने दस्तरख़ान (भोजनपट) मंगवाया, जिसमें मुर्गी का मांस था। इसी बीच एक व्यक्ति अंदर आया, जो बनी तैमुल्लाह से था, जिसका रंग लाल था तथा गैर- अरब की भाँति दिखाई पड़ रहा था। उसे देखकर अबू मूसा अशअरी ने कहाः आओ, शामिल हो जाओ। लेकिन वह हिचकिचाने लगा, तो कहाः आओ, शामिल हो जाओ, मैंने अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) को इसे खाते देखा है।
सह़ीह़ - इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।

व्याख्या

ज़हदम बिन मुजर्रिब जरमी कहते हैं कि वह और कुछ लोग अबू मूसा अशअरी -रज़ियल्लाहु अनहु- के पास बैठे हुए थे। इसी बीच उन्होंने दस्तरखान मंगवाया। दस्तरखान लाया गया, तो उसमें मुर्गी का मांस था। इतने में बनी तैमुल्लाह का एक व्यक्ति अंदर आया, जो लाल रंग का था और ग़ैरअरब की तरह दिख रहा था। अबू मूसा -रज़ियल्लाहु अनहु- ने उसे खाने के लिए बुलाया, तो वह हिचकिचाया और शरीक होने से इनकार कर दिया। यह देख अबू मूसा -रज़ियल्लाहु अनहु- ने उससे कहा : मैंने अल्लाह के रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- को इसे खाते हुए देखा है।

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