عن عبد الله بن عباس رضي الله عنهما قال: «سمعت رسول الله صلى الله عليه وسلم يخطب بِعَرَفَاتٍ: من لم يَجِدْ نَعْلَيْنِ فَلْيَلْبَسِ الخُفَّيْنِ، ومن لَمْ يَجِدْ إِزَارًا فَلْيَلْبَسْ السَّرَاوِيلَ -للمحرم-».
[صحيح] - [رواه البخاري]
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अब्दुल्लाह बिन अब्बास- रज़ियल्लाहु अन्हुमा- कहते हैं कि मैंने अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) को अरफ़ात में प्रवचन देने के दौरान (एहराम वाले व्यक्ति के बारे में) कहते हुए सुनाः जो जूता न पाए, वह मोज़ा पहन ले और जो तहबंद न पाए, वह पाज़ामा पहन ले।
[सह़ीह़] - [इसे बुख़ारी ने रिवायत किया है।]
अब्दुल्लाह बिन अब्बास -अल्लाह उनसे प्रसन्न हो- बता रहे हैं कि नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने अरफ़ात के मैदान में लोगों संबोधित किया, तो जूते न होने की सूरत में मोज़े पहनने की अनुमति दी और नीचे से काटने का ज़िक्र नहीं किया तथा तहबंद न मिलने की अवस्था में पजामा पहनने की अनुमति दी और उसे फ़ाड़ने की शर्त नहीं लगाई। दरअसल यह हिकमत वाले एवं पवित्र अल्लाह की ओर से बोझ हल्का करने का उदाहरण है।