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عن الزُّبير بن العَوَّام رضي الله عنه قال: كان على النبي صلى الله عليه وسلم دِرْعان يوم أحد، فنهض إلى الصَّخرة فلم يستطع، فأَقعد طلحة تحته، فصعد النبي -صلى الله عليه وسلم عليه- حتى استوى على الصخرة، فقال: سمعتُ النبي صلى الله عليه وسلم يقول: «أَوْجِبْ طلحة».
[حسن] - [رواه الترمذي وأحمد]
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ज़ुबैर बिन अव्वाम -रज़ियल्लाहु अन्हु- कहते हैं कि उहुद युद्ध के दिन नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- दो-दो कवच पहने हुए थे। आप एक चट्टान पर चढ़ने का प्रयास कर रहे थे, लेकिन चढ़ नहीं पा रहे थे। ऐसे में, नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने तलहा (रज़ियल्लाहु अन्हु) को अपने नीचे बिठाया, उनके ऊपर चढ़े और चट्टान पर सीधे खड़े हो गए। वह कहते हैं कि मैंने नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- को कहते सुना हैः " तलहा (जन्नत का) हक़दार बन गया।"
[ह़सन] - [इसे तिर्मिज़ी ने रिवायत किया है। - इसे अह़मद ने रिवायत किया है।]

व्याख्या

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