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عن سَلَمة بن الأَكْوع رضي الله عنه قال: غَزَوْنا مع رسول الله صلى الله عليه وسلم حُنَينًا، فلما واجَهْنا العدوَّ تقدَّمتُ فأَعْلُو ثَنِيَّة، فاستَقْبَلَني رجُل من العدو، فَأَرْمِيه بسَهْم فتَوَارَى عَني، فما دَرَيت ما صَنَع، ونظرتُ إلى القوم فإذا هُمْ قد طَلَعوا من ثَنِيَّة أخرى، فالتَقَوْا هُمْ وصَحابة النبي صلى الله عليه وسلم ، فولَّى صحابة النبي صلى الله عليه وسلم وأَرجِعُ مُنْهَزِمًا، وعليَّ بُرْدَتان مُتَّزِرًا بإحداهما مُرْتَدِيًا بالأخرى، فاستُطلِق إِزاري فجَمَعْتُهما جميعا، ومررتُ على رسول الله صلى الله عليه وسلم مُنْهَزِمًا وهو على بَغْلَتِه الشَّهْباء، فقال رسول الله صلى الله عليه وسلم : «لقد رَأَى ابنُ الأكْوَع فَزَعًا»، فلما غَشَوا رسول الله صلى الله عليه وسلم نَزَل عن البَغْلة، ثم قَبَضَ قَبْضَة مِن ترابٍ مِن الأرض، ثم استقْبَلَ به وجوههم، فقال: «شاهَت الوجوه»، فما خَلَق الله منهم إنسانًا إلا مَلَأَ عيْنَيْه ترابًا بِتِلك القبْضَة، فَوَلَّوا مُدْبِرين، فَهَزَمَهم الله عز وجل ، وقَسَّم رسول الله صلى الله عليه وسلم غَنائِمهم بين المسلمين.
[صحيح] - [رواه مسلم]
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सलमा बिन अकवा- रज़ियल्लाहु अन्हु- से वर्णित है, वह कहते हैं कि हुनैन में हमने अल्लाह के रसूल- सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- के संग ग़ज़वा (युद्ध) किया, जब शत्रु से हमारी मुठभेड़ हुई तो मैं एक घाटी पर चढ़ गया, शत्रुओं में से एक आदमी मेरे सामने आया, तो मैंने उसको तीर मारा किंतु वह मुझ से छुप गया, फिर मुझे पता नहीं उस का क्या हुआ। मैंने लोगों को देखा तो वो दूसरी घाटी से निकले, और उन से तथा नबी - सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- के सहाबा के संग युद्ध हुआ, किंतु नबी- सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- के सहाबा भाग खड़े हुए, मैं भी पराजित हो कर लौटा, और मैं दो चादरें पहना था एक को नीचे पहने हुए तो दूसरे को लपेटे हुआ था, जब मेरी लुंगी खुल गयी तो मैंने दोनो को एकठ्ठा कर लिया तथा अल्लाह के रसूल- सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- के पास से पराजित हो कर गुजरा जब्कि आप अपने शहबा नामक खच्चर पर थे, तो अल्लाह के रसूल- सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने फरमायाः अकवा के पुत्र ने आतंक देखा, फिर शत्रुओं ने जब रसूलुल्लाह- सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- को घेर लिया तो आप अपने खच्चर से उतरे तथा एक मुठ्ठी मि़ट्टी लिया फिर उस को उन लोगों के मुँह पर मारा और फरमायाः मुँह बिगड़ गए, उस एक मुठ्ठी से उन में से कोई भी मानव नहीं बचा जिस की आँख में वह न चली गई हो, तो वह पीठ फेर कर भागे तथा अल्लाह ने उन लोगों को शिकस्त दी, और अल्लाह के रसूल- सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने उन का धन मुसलमानें के मध्य बाँट दिया।
[सह़ीह़] - [इसे मुस्लिम ने रिवायत किया है।]

व्याख्या

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