عن أبي قتادة الأنصاري رضي الله عنه ، قال: «رأيتُ النبيَّ صلى الله عليه وسلم يَؤُمُّ الناس وأُمَامَة بِنْت أَبِي العَاصِ وهي ابنةُ زينب بنتِ النبي صلى الله عليه وسلم على عاتِقِه، فإذا ركَع وضَعها، وإذا رفَع مِن السُّجُود أعَادَها».
[صحيح] - [متفق عليه]
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अबू क़तादा अंसारी (रज़ियल्लाहु अन्हु) से वर्णित है, वह कहते हैं कि मैंने नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) को देखा कि आप लोगों को नमाज़ पढ़ा रहे थे और उमामा बिंत अबुल आस, जो नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) की सुपुत्री ज़ैनब की बेटी थीं, आपके कंधे पर थीं। जब आप रुकू करते, तो उनको उतार देते और जब सजदे से उठते, तो उनको दोबारा कंधे पर उठा लेते।
[सह़ीह़] - [इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।]