عن ابن عباس رضي الله عنهما قال: «نهى رسول الله صلى الله عليه وسلم أنْ يُتَنَفَّسَ في الإناء، أو يُنْفَخَ فيه».
[صحيح] - [رواه أبو داود والترمذي وابن ماجه وأحمد والدارمي]
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इब्ने उमर रज़ियल्लाहु अन्हुमा से रिवायत है, वह कहते हैं कि अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने बर्तन में साँस लेने या फूँक मारने से मना किया है।
[सह़ीह़] - [इसे इब्ने माजा ने रिवायत किया है । - इसे तिर्मिज़ी ने रिवायत किया है। - इसे अबू दाऊद ने रिवायत किया है। - इसे अह़मद ने रिवायत किया है। - इसे दारिमी ने रिवायत किया है।]
इस हदीस में खाने-पीने के शिष्टाचारों में से एक शिष्टाटार का बयान है। वह है, जिस बर्तन में खाना खाया या पिया जा रहा हो, उसमें साँस लेना या फूँक मारना। बर्तन में साँस लेने से मना इसलिए किया गया है कि इसके कई नुक़सान हैं। जैसे बर्तन का गंदा हो जाना और एक व्यक्ति के साँस लेने के बाद दूसरे को उससे पीने से घिन आना आदि। जैसा कि एक ही समय साँस लेने और पीने से दम भी घुट सकता है। अतः कुछ पीते समय बर्तन के बाहर तीन बार साँस लेना चाहिए। यह बात हदीस में आई है और यह अधिक अच्छा भी है। इस हदीस में खाने-पीने की चीज़ों में फूँक मारने से भी मना किया गया है। चाहे कारण कुछ भी हो। जैसे खाने का गर्म होना या कोई वस्तु हटाना आदि। यह मनाही इसलिए आई है, ताकि खाने-पीने की चीज़ों को थूक और मुँह की बदबू आदि की गंदगी से बचाया जा सके।