عن أبي هريرة رضي الله عنه عن النبي صلى الله عليه وسلم قال: «لا يمش أحدكم في نعل واحدة، لِيُنْعِلهما جميعًا، أو لِيَخْلَعْهُمَا جميعًا».
[صحيح] - [متفق عليه]
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अबू हुरैरा (रज़ियल्लाहु अंहु) से रिवायत है कि नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फरमायाः "तुममें से कोई एक जूता पहनकर न चले। या तो दोनों पहनकर चले या दोनों उतार दे।"
[सह़ीह़] - [इसे बुख़ारी एवं मुस्लिम ने रिवायत किया है।]
अल्लाह के नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने एक जूता पहनकर चलने से मना किया है। इनसान या तो दोनों जूता पहनकर चले या फिर दोनों को उतारकर पैदल चले। यह शिष्टाचार इस बात का प्रमाण है कि इस्लामी शरीयत ने छोटी-छोटी बातों का भी ख़याल रखा है, और उसने जीवन के सभी भागों पर प्रकाश डाला है।