عن أبي هريرة رضي الله عنه قال: «ما صليت وراء أحد أشبه صلاة برسول الله صلى الله عليه وسلم من فلان - فصلينا وراء ذلك الإنسان وكان يطيل الأوليين من الظهر، ويخفف في الأخريين، ويخفف في العصر، ويقرأ في المغرب بقصار المفصل، ويقرأ في العشاء بالشمس وضحاها وأشباهها، ويقرأ في الصبح بسورتين طويلتين».
[صحيح] - [رواه النسائي وأحمد]
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अबू हुरैरा (रज़ियल्लाहु अन्हु) से वर्णित है, वह कहते हैं कि मैंने अमुक व्यक्ति के मुकाबले में किसी के भी पीछे नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) से अधिक मिलती-जुलती नमाज़ नहीं पढ़ी। चुनांचे हमने उस व्यक्ति के पीछे नमाज़ पढ़ी और पाया कि वह ज़ुहर की प्रथम दो रकातों को लंबा करते थे तथा अंतिम दो रकातों को हल्का करते थे, तथा अस्र की नमाज़ हल्की पढ़ते थे, और मग़रिब में 'क़िसार-ए-मुफ़स्सल' (सूरा अल-हुजुरात से लेकर सूरा अन-नास तक की सूरतें) और इशा में (والشمس وضحاها) और उसकी जैसी सूरतें पढ़ा करते थे, एवं सुबह की नमाज़ की दोनों रकातों में लंबी सूरतें पढ़ा करते थे।
सह़ीह़ - इसे नसाई ने रिवायत किया है।

व्याख्या

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