عَنْ أَبِي عَبْدِ اللَّهِ النُّعْمَانِ بْنِ بَشِيرٍ رَضِيَ اللَّهُ عَنْهُ، قَالَ: سَمِعْتُ رَسُولَ اللَّهِ صَلَّى اللَّهُ عَلَيْهِ وَسَلَّم يَقُولُ:
«إنَّ الحَلَالَ بَيِّنٌ، وَإِنَّ الحَرَامَ بَيِّنٌ، وَبَيْنَهُمَا مُشْتَبِهَاتٌ لَا يَعْلَمُهُنَّ كَثِيرٌ مِنَ النَّاسِ، فَمَنْ اتَّقَى الشُّبُهَاتِ اسْتَبْرَأَ لِدِينِهِ وَعِرْضِهِ، وَمَنْ وَقَعَ فِي الشُّبُهَاتِ وَقَعَ فِي الحَرَامِ، كَالرَّاعِي يَرْعَى حَوْلَ الحِمَى يُوشِكُ أَنْ يَرْتَعَ فِيهِ، أَلَا وَإِنَّ لِكُلِّ مَلِكٍ حِمًى، أَلَّا وَإِنَّ حِمَى اللَّهِ مَحَارِمُهُ، أَلَّا وَإِنَّ فِي الجَسَدِ مُضْغَةً إذَا صَلَحَتْ صَلَحَ الجَسَدُ كُلُّهُ، وَإذَا فَسَدَتْ فَسَدَ الجَسَدُ كُلُّهُ، أَلَا وَهِيَ القَلْبُ».
[صحيح] - [رواه البخاري ومسلم] - [الأربعون النووية: 6]
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अबू अब्दुल्लाह नोमान बिन बशीर रज़ियल्लाहु अनहुमा कहते हैं कि मैंने अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को कहते हुए सुना है :
"निस्संदेह, हलाल स्पष्ट है और हराम भी स्पष्ट है तथा दोनों के बीच कुछ चीज़ें अस्पष्ट हैं, जिन्हें बहुत से लोग नहीं जानते। अतः, जो अस्पष्ट चीज़ों से बचा, उसने अपने धर्म और प्रतिष्ठा की रक्षा कर ली तथा जो अस्पष्ट चीज़ों में पड़ गया, वह हराम में पड़ गया। जैसे एक चरवाहा सुरक्षित चरागाह (पशुओं के चरने का स्थान) के आस-पास जानवर चराए, तो संभावना रहती है कि जानवर उसके अंदर चले जाएँ। सुन लो, हर बादशाह की सुरक्षित चरागाह होती है। सुन लो, अल्लाह की सुरक्षित चरागाह उसकी हराम की हुई चीज़ें हैं। सुन लो, शरीर के अंदर मांस का एक टुकड़ा है, जब वह सही रहेगा, तो पूरा शरीर सही रहेगा और जब वह बिगड़ेगा तो पूरा शरीर बिगड़ेगा। सुन लो, मांस का वह टुकड़ा, दिल है।"
[सह़ीह़] - [رواه البخاري ومسلم] - [الأربعون النووية - 6]
अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम चीज़ों के बारे में एक साधारण सिद्धाँत बता रहे हैं। सिद्धाँत यह है कि चीज़ों के तीन प्रकार हैं। स्पष्ट हलाल चीज़ें, स्पष्ट हराम चीज़ें और ऐसी चीज़ें जिनका हलाल या हराम होना स्पष्ट न हो तथा वो हलाल हैं या हराम इस बात को बहुत-से लोग जानते न हों।
ऐसे में, जिसने अस्पष्ट चीज़ों को छोड़ दिया, तो हराम चीज़ों में पड़ने से बचने के कारण उसका दीन सुरक्षित रहेगा और अस्पष्ट चीज़ में लिप्त होने की वजह से उसपर जो लोगों की उंगलियाँ उठ सकती थीं, उससे उसका सम्मान भी सुरक्षित रहेगा। इसके विपरीत जो अस्पष्ट चीज़ों से दूर नहीं रहा, उसने खुद को या तो हराम में पड़ने के लिए या लोगों के लाँछन का सामना करने के लिए आगे कर दिया। इसके बाद अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने अस्पष्ट चीज़ों में पड़ने वाले का एक उदाहरण दिया। फ़रमाया कि अस्पष्ट चीज़ों में पड़ने वाला उस चरवाहे की तरह है, जो अपने जानवर किसी सुरक्षित चरागाह के पास चरा रहा हो। यहाँ इस बात की संभावना बनी रहती है कि उसके जानवर निकट ही में स्थित सुरक्षित चरागाह में जाकर चरने लगें। बिल्कुल यही हाल संदेह वाले काम करने वाले का है। क्योंकि इससे वह हराम काम के निकट पहुँच जाता है और इस बात की संभावना बन जाती है कि वह हराम में पड़ जाए। फिर अंत में यह बताया है कि इन्सान के शरीर में मांस का एक टुकड़ा है। जब वह सही रहता है, तो पूरा शरीर सही रहता है और जब वह बिगड़ जाता है, तो पूरा शरीर बिगड़ जाता है। मांस का वह टुकड़ा दिल है।