عن علي بن أبي طالب رضي الله عنه مرفوعاً: «لاَ يُتْمَ بَعْدَ احْتِلاَمٍ، وَلاَ صُمَاتَ يوم إلى الليل».
[صحيح] - [رواه أبو داود]
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अली बिन अबू तालिब -अल्लाह उनसे प्रसन्न हो- से मरफ़ूअन वर्णित है : "वयस्क हो जाने के बाद आदमी अनाथ नहीं रहता और रात होने तक दिन भर ख़ामोश रहने का कोई औचित्य नहीं है।"
[सह़ीह़] - [इसे अबू दाऊद ने रिवायत किया है।]