عن أبي هريرة رضي الله عنه عن النبي صلى الله عليه وسلم قال: «ما توطَّنَ رجلٌ مسلمٌ المساجدَ للصلاة والذِّكر، إلا تَبَشْبَشَ اللهُ له، كما يَتَبَشْبَشُ أهلُ الغائب بغائبهم إذا قَدِمَ عليهم».
[حسن] - [رواه ابن ماجه وأحمد]
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अबू हुरैरा -अल्लाह उनसे प्रसन्न हो- से वर्णित है कि नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने फ़रमाया : "जब कोई मुस्लिम व्यक्ति नमाज़ एवं ज़िक्र के लिए मस्जिदों में अनिवार्य रूप से उपस्थित होने लगता है, तो अल्लाह उससे उसी प्रकार प्रसन्न होता है, जिस प्रकार किसी खोए हुए व्यक्ति के घर आने पर उसके घर वाले प्रसन्न होते हैं।"
ह़सन - इसे इब्ने माजा ने रिवायत किया है ।

व्याख्या

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